संयुक्त राज्य अमेरिका की शासन प्रणाली | Sanyukt Rajya America Ki Shasan Pranali

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Sanyukt Rajya America Ki Shasan Pranali by हरीमोहन जैन - Harimohah Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अमेरिकी सविधान की एष्ठभूमि श्र साथ ही यद्द भी विदित था कि तीनों के मध्य परस्पर सम्बन्ध तथा सम्पर्क स्थापित करना भी सफल शासन के लिए परमावश्यक है क्‍योंकि इसके बिना सरकार में एकता व समरुपता की भावना नहीं आ सकती । श्रत यद्द व्यवस्था की गई कि सरकार फे तोनों अग परस्पर एक दूसरे को नियन्रित करें और इस प्रकार शासत में सादुलन की स्थापना फरें | इस प्रफार नियत्रण तथा सन्तुलन का सिद्धान्त शक्ति अथक्‍्करण सिद्धान्त का पूरक बन गया है। सन्‌ १६१४ में जाय एडम्स (]णा7 4तेक्ाय3) ने अपने एक पत्र में जान ठेलर (]०४7 72९०7) को लिखा कि शारम्म से अन्त तक अमेरिकी सविधान में एक अग दूसरे अग पर प्रतिषन्ध रूप है। सर्वप्रधम, राष्ट्रीय सरकार के विपक्षी १८ राज्य हैं, द्वितीय, ग्रतिनिधि समा और सिमेट दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, तृतीय, कार्यकारिणी और व्ययस्थापिका कुछ सीमा तक एक दूसरे फे प्रतिद्विन्दी हैं; चत॒र्थ, न्यायपालिका प्रतिनिधि सभा, सिनेट, कार्यकारिणी श्र राज्यों की सरकार सभी को वैधानिक बन्बन में रखती है, पाँचवें, राष्ट्रपति पर सिनेट द्वाय प्रतिब ध लगाये गये हैं, छठवें, दर दूसरे वर्ष चुनाव करफे जनता अपने प्रतिनिधियों को भी नियत्रित करती दे, सातवें, राष्ट्रपति के चुनाव में राष्ट्रपति निवांचक जनता के अधिकार को सीमित करते हैं।इस अफार जहाँ सरकार के तीनों श्रगों में शक्ति प्रथम्करयण किया गया हे वहाँ तीनों में पारस्परिक सम्बन्ध भी स्थापित किया गया है। अमेरिकी सविधान में जिन बातों का वर्णन मिलता है वह उतनी दी उल्लेसनीय हैँ जितनी बह बातें जिनका इसमें अभाव दे। कहीं ऊ्दी तो सविधान में श्रनावश्यक बातों पर भी व्यापक व्यवस्था की गई है जैसे (9 अल जूरी की व्यवस्था श्रथवा देश-द्रोह (६728807) की परिभाषा श्रथवा राज्यसलघ (००7/९१९:४४1०7) द्वारा की गई सपियों श्रथवा उसके द्वारा लिये गये ऋणों (1०७७) के नवीन सघ सरकार द्वारा झादर किये जाने का बचन श्रादि--औ्रौर कहीं कहीं मीलिक बातें मी छोड़ दी गई हैं। उदाइरणार्थ, प्रतिनिधि सभा के स्पीकर के अ्रषिकारा का वर्णन इसमें नहीं मिलता और इसी प्रकार दोनों सदनों ऐे सतमेद को सुतसाने की झोई व्यवस्था नहीं की गई हे इत्यादि, परन्तु जो ्धिकार काम्रे स को दिये गये हैं उनका ज्ञेत इतना विस्तृत ऐ कि उनके अन्तर्गत सब छुटे हुये प्रश्नों पर नियम बनाये जा सकते हैं और इस प्रकार इन न्यूनताशों का पूरा किया जा सज़्ता है। सम्भवतत निर्माता संविधान की बारीकियों म जाकर आ्रागामी पीढ़ियों को अपने पिचारा से जक्ड़ना नहीं चादते ये श्रोय न उनका आने वाली आधिक व सामाजिक समस्याश्रों का राही अ्रनुमान दो सकता था। इसलिये उद्धोंने विश्ेधप्रस्त प्रश्नों पर चुप रहना दी उनित समकका यह सोच कर कि कांग्रेट समय समय पर स्वय परिस्थिति वे ्ा 1




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