भारतीय शासन पद्धति भाग - 1 | Bharatiy Shasan Paddhati Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डपोदुघात | १७ और क्रमण दिल्लो और उसके आसपासके कुछ स्पानोंकों छोड सारा पञ्ाय सिक्‍सीके द्ाथ चछा गया। रनजीतसिहके समयतक सिफफोंकी तूती बोछती रह्यो। पए उनकी सत्युके बाद फूट और बैरकी जड मजयूत हुई भौर अडूरेन्रॉंसे उनकी पहुली लडाई हुई 1 इसमें सिवखोंने बीरतासे छोह्दा लिया भौर अहूरेजॉफो भी मालूम दो गयो कि यद् छडाई मामूली नदी है। इस लडाईके बाद कुछ ही द्नोंतक शान्ति रही और दूसरी रूडाई दोते ही छाडे डलदीसीने पञ्ञाय छे लिया औण महाराज द्लीपसिहको पेनशन देकर इड्ुलेंड भेज दिया। इस प्रकार अटकसे छेफर कटफतक और कुमायू से छेफकए कुमारिका अन्तरीपतक समस्त देशपर अज्ूरेजोंकी धाक जम गयी। १८५७ में अटूरेज्ी सेनाफे सिपाहियोने गदर मचाया।” इसका भ्रत्यक्ष कारण यह था कि जो कारतूस दातसे फाटकर बन्दूकमें भरनेसी उन्हें आश्या मिली थी, उनमें घर्नों छगी हुई थो। गदरका काग्ण कुछ छॉगोंका | ' पड़्यन्र और फास्तूसोंकी चर्नक्रे सिंचा छार्ड डल- हीलीफ़ी राज्य इडपनेवाली नीति भी थी। अचध, मासी, नागपुर और सितारेके राज्य इसके शिकार, हुए ये। इस गदरसे अड्टूरेज्ञोंकी जड हिंल गयी थी, पर अज्ञाकी सहायतासे अदूरेजी कम्पनी इस विद्वोहका दमन करनेमें समर्थ हुई और उस समयसे देशमें किसी प्रकारंका क्रान्तिकारक ' डप- द्वव नदीं हुआ । * है ' ्‌




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