श्रमणोपासक | Shramanopasak

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Shramanopasak  by आचार्य श्री नानेश - Acharya Shri Nanesh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किरण देशलहरा किरण देवी गुलगुलिया कु रचना बेद मोना गुलगुलिया शारदा जैन मुमुन्तु निर्मला लोढा मुमुक्षु ममता बोधरा अनिता डूगरवाल पुष्पा तातेड़ अजु साड श्रद्धा पारख ललिता धीग ममता नागोरी आशा साड मंजू बाफना श्रीमती कमलादेवी साड सीमा सघवी डा. श्रीमती प्रकाशलता कोठारी श्रीमती भंवरीदेवी कोठारी उपाध्यक्ष-महिला समिति माया लृूणावत शकुतला दुधोड़िया सीमा हीगड़ प्रेम पिरोदिया रत्ना ओस्तवाल कुसुमलता बैद कविता जैन वनिता, सुनीता, प्रियका, हर्षिता श्रीक्षीमाल कुमारी पायल श्रीमती भवरी देवी मुथा अर्चना कुलदीप बरड़िया कवरबाई लूनिया कंचन बोर्दिया भवरीदेवी मुथा रन्‍्जु धींग राजेन्द्र जैन वां 41 41 4 42 42 42 43 43 44 45 45 46 46 46 47 47 48 48 50 50 51 51 52 52 52 53 53 53 53 53 54 54 54 55 1-32 दीप स्तम्भ मेरी आस्था के केन्द्र एक दिव्य मशाल सब कुछ दिया तुम्ही ने है महामानव | आप अमर है साधक व इनके पट्टधर हुक्म सघीय गुलशन के अनमोल पुष्प समता की दिव्य ज्योति सहज और सरल महासाधक अब कौन राह दिखाएगा ? सामाजिक क्रान्ति के सूत्रधार दिव्य ज्योति समता के सागर सच्चा पाठ पढा गए मुझ बाला को गुरु नाना मुझे भा गए समता की महान विभूति बहुआयामी व्यक्तित्व सर्वतोमुखी ग्यक्तित्व रोटी का असली स्वाद बाल सखा-आचार्य श्री नानेश प्राण जाहि पर गुरु भक्ति न जाहि उपहार की सार्थकता को समझे मेरे सच्चे देव नानेश जुरुत्वाकर्षण देदीप्यमान नक्षत्र जगत मे अनूठे ढी थे और रहेंगे नयन दर्श बिन अभागे रहे समत्व भाव मे रमण करने वाले गुरु का नाम चमत्कार भरा चमत्कार चमत्कार चमत्कार गुरु ने दी दवा नैया पार लगाई ज्योतिर्मय व्यक्तित्व के धनी अमृतवाणी




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