बोलो बोधि वृक्ष | Bolo Bhodhi Vriksh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1024 KB
कुल पष्ठ :
92
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चांचो
गोगो
चांचो
भोगा
चोचा
गोगो
चोचो
गोगो
चाचा
गोगो
चाचों
योगो
चाचो
गोगो
चोचो
गोगा
चोचो
गोगा
चोचो
सागो
चांचो
बोलो बोधिवक्ष / 25
खुलता है। दोना बुछ पल एक दूसरे को
क्टखनी निगाहा स घूरते है, फिर ठहाका
लगा कर हँस पडत है ।]
(हँसते हुए) ओो5हो हु हो गयी !
(पेट पकड कर हसीं रोकते हुए) घ्रधधध७ज्त तेड्रे वी ।
तु&मन ता मुझे हँसा55६ हँसा कर मार डाता |
देख हकक्लू !
बोल, टक्लू !
हम दोनो विदूषक है! रगमच रूपी ड्वफ बाड़ के
सिक्योरिटी गाड !
एकदम सही दू&5 हड्डे ड परसेंट मही ।
मेरा नाम चोचो, तुम्हारा नाम गागा !
चाचो और गोड्छगा |
हम अपनी मर्जी से विदृूषक नही बने।
नही$55 बने |
इतिहास गवाह है कि विदूषक पदाइशी नही होते हैं, जनता
उह बनाती है!
55 बनाती है!
कहना चाहिए कि जनता उह चुनती है ।
चु&नती है ।
हम जनता ने चुना है!
55 चुना है 1
क्यो चुना है २
चनती नही$७ तो वरती क्या ?
यानी जनता के पाय बोई विवत्य नही था ।
555 नही था |
बह मजबूर थी वि हमे चुन!
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