निकोलाई चाउसेस्कू | Nikolai Chaoosesku
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
53 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उठाना था। इससे बडा लाभ यह होता कि रोमानिया फा आथिक आधार मजबूत
होता । इसलिए उ होने अपनी व्यापारिक नीति को लोचदार बताया। क प्रीय राजकीय
व्यापार मशीनरी के कानूनों में सशोधन किया । वे पहले कम्युनिष्ट राजनीतिज्ञ हैं, जि होते
पूजीवादी सहयोग से सयुकत व्यवसाय की स्थापना पर बल दिया है। इसीलिए अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार की नीतियों क सम्ब ध में वे बराबर चिंतित रहे । यूरोपीय साझे बाजार” के निर्माण
को उन्होने “बन्द आशिक प्रणाली” की सज्ञा दी और अ तर्राष्ट्रीय व्यापार क लिए इसे बाधा
के रूप में देखा। उनका विचार है कि ऐसे संगठन के निर्माण से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को खतरा
है। “कोमेकोन” की नीति के सम्बन्ध में भी इृहोने अपने स्वतन्त्र विचार का परिचय दिया
है। जहाँ ये देश के आथिक विकास के लिए दूसरे समाजवादी देशों का स्रहयोग आवश्यक
भानते हैं, वहीं सदस्य राष्ट्रों के बीच अच्तर्राष्ट्रीय श्रम विभाजन की ये खिलाफ है । इनका
विचार है कि अन्तर्राष्ट्रीय श्रम-विभाजन का उस सीमा तक विकास, जहा दूसरे देदा का
स्वतन्त्र विकास प्रभावित होता है, गलत है। अगर अन्तर्राष्ट्रीय श्रम विभाजन की नीति के
कारण किसी क्षत्र में रोमानिया का विकास' अवरुद्ध होता है और उसे दूसरे देश पर निगर
रहना पडता है, तो चाउसेस्क् के लिए यह माय नहीं है ।
रोमातिया के विकाप्त की और अधिक सम्भावनाए हैं, चाउसेस्क् इ॑श्ष बात फो जानते
हैं। वे यह भी जानते हैं कि विकास के माग में क्या कया बाधाएं हैं, तथा अ 4 बिकरसित पेशी
की तुलना में इसका वया स्थान है। इसके उत्पादन प्रणाली मे बया कभी है। वे यह भी जानते
हैं कि रोमानिया के उद्योगों की उत्पादन-शक्ति अन्य विकत्ित देशों की तुलना में बहुत
कप्त है। उन्होंने उत्पादन में ढीऊापन और त्ष्ठियों की तरफ इशारा करते हुए रोभानिया
वासियों से यह अपील की है कि वे देश के उत्पादन को अ-य विकातित देशों के रतर पर पहु
चाए । वे अपने देश को आर्थिक दष्टि से समुन्नत बनाने के छिए कटिबद्ध हैं। इसीलिए उद्योगों
पर विनियोग को बढ़ावा दिया गया है। खासकर स्टील उद्योग और मशीन निर्माण को अधिक
से अधिक बढावा दिया जा रहा है। अत इस सम्बन्ध में कोई भी वैत्षा प्रस्ताव (जरा कि
' कोमेकोन” ने किया था)रोमातिया को माय नहीं है। उनका उद्ं एय आथिक आत्मनिभरता'
का है। उनका विचार है कि किसी भी देश को आधिक दृष्टि से आत्मनिभर होना चाहिए ।
किसी के भरोसे रहना ठीक नही है। फिर वसी स्थिति में जहां उत्ष उद्योग के विकास फी पूण
सम्भावता हो, उस पर विनियोग न करना अपनी अथ व्यवस्था को कप्रजोर करना है | इसी-
लिए चाउसेस्क् ने “कोमेकोन” के बहुत से सुझावों को अस्वीकार कर दिया था. |
चाउसेस्क् देश में उद्योगों का जिस प्रकार विकास चाहते हैं उसी प्रकार एप क्षत्र में
भी भआत्मनिभता की बात करते हैं। वे वाहुते हैं कि कृषि को उस सीमा तवा उ पत्त किया
जाय जिससे देश के उद्योगों के लिए कच्चे माल की आवश्यकता की पति हो सके तथा जस-
संख्या की खाद्य समस्या का समाधान हो सके । लेकित वहू कभी नही चाहते कि रोसालिया
सिर्फ़ कृषि प्रधान देश हो जो क'चे माल, प्राथमिक आवश्यकताओं और खाद्य पदार्थ का
निर्यात करे। बल्कि वे रोमातिया' को एक उद्योग प्रधान देश के रूप में देखना चाहते हैं
जिसकी ख्याति अतर्राष्ट्रीय हो तथा उसमें उत्पादित वस्तुओं का स्तर अत्य त उनत हो ।
देश को उद्योग प्रधान बनाने मे चाउसेस्कू की धारणा यह है कि एक आत्मनिभर राष्ट्र होने
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