पद्मपुराण भाषा | Padm Puran

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सूचना॥ - ४६ जा [०] अनेक अकारका इस्तके इस यत्रालय मे मुद्रित हुई ७ का कील शा. उन में स॑ जितने पुराणह उनसे चनकर कुड पुम्तकें नीचे आल... हल लिखी जाता दाजन महाशया का इमम मे किस पुस्तक की आवश्यकताहो वे इस प्रेम के मेनेजर को पत्र लिखकरमँगाले तथा घुस्तका का जा सूचीपत्र छपाह वह भा संगाकर देखले 1 देवीमागवत भाषा की ० ३) पु० इसका उल्या पाण्डित सहशदत्त तुकलने किया६-हसमे महत्प करके अीटवीजी के पाठ आविक का विस्तार और सच प्रफारकी गक्तियाँ का कथन आर उनके अवतार, मत्र, तम्न, यत्र, फवच, कीलफ, अगला, पृज्ञा स्तोत्र, माहात्म्य, सवदाचार, प्रात कृत्य, स्ट्राक्षमाहिमा, गायश्री और वेविया ८ पग्ध्चरण का बणन, सन्ष्योपासन, ब्रह्मययज्ञावि असरूय यप्न मंत्र झूप विपयह भाषा ऐसी स्पष्ट हें कि साधारणलछोाग भी समझसक्ते ६ ॥ लिगपुराण की ९ ॥&-) इसका उल्पा उापखाने के थहुतखर्तच से जयपुरनियालि पणिडित दुर्गा सादजीन भापारमोें क्याई-जिसमें अनेफ प्रकारक इतिहास सर्ववश, न्ट्वशका वर्णन, घह, नक्षत्र, क्रगोल जोर खगोलका कभन, देव, दानव गन्वयाई, चक्ष, राक्षत जोर नागादिकी उत्पत्ति दृष्यादि बहुतसी कमाये हू ॥ विष्णुपुगण भापा वार्तिक की ० ॥) पु इसका प्रणिदत मत्शदत्त सकुलने भाषान्तर किया ऐ जिस में जगदुत्प ्ति, स्थिति, पालत, प्रव, एवजादि राजाओं की कथा, भगाए, खगोल यर्णन, धर्मशार, मन्वन्तरस्था, सये आर सोमयशों राजाओं फ्रा कपन इस्यादि बहुतसी क्थाय समुक्तह ॥ विप्णुप्‌गाणभाषाराजाश्रजीतमिहवेकुठवासी कृतकी २ १४)० जिसका जीराजाप्रतवापपट्दुरासह तालुक्रार व मायररा सानस्ट्रट व गेमीद पतापगडने छपयायाहै हमसे सन्‍पर्ण विष्पूपुगाण दाहा चापाह इन्पादि अनगप्रदार कफ लालत छरपा से चाणत ह€ वागज् खफद ८ |




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