युवक पथ - प्रदर्शक | Yuvak Path - Pradarshak

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Yuvak Path - Pradarshak by ठाकुर राजबहादुर सिंह - thakur rajbahaadur singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झिक्षा ओर इसका उपयोग #% छः होगा | काऊेजकी शिक्षाक्ा सबसे बढ़ा और प्रधान दोप यह है कि उसका माध्यम बिदधां भाषा ६, मार इस भसापम जा पस्चक बहा ॥ ज्ञानी है, उनका वियय समझना नो दर रहा, उसकी साथा तक वे नहीं समझ पातें और फल्य्यछप परीक्षा पास होनेके लिये उन्हें पा है हक श ' #+कन. टनसा पड़ता है । काइजक प्रोफासशमस भा आवकाशका यहां हा का दउयत्फा पा ्न्‍नओ की अभाकत, हक ३४ डप जा ट प्र हैँ कि उहहें स्वर्य उस विप्रकरा प्रग झान सहीं होता, जिसकों : ष न ही 5 हर 535 हि शिक्षा दंत €., इसाल्य व्रयाधथयाका ससवापनननक शक्षा दंनक ४ ४ अमितर > 9 व ४1: छठ श्र कार घदले ने भां अपना आवानसामा लब्बर गाइत ६--इस अटपर 7 जम, ठ्ि ट्र्या न सा हेड ला टक द्र्ड जाम: विशेषता कीमत दारा लक दाक्षान्प्रभादीका फ् यह होता हि. कि सामघारोीं बविश्येपतां द्वार और. कि मर शी कि की 5 जय ८ घन अर 1 टिस्त “+ शांत 1 £ प्रस्यक विय्यका पुस्तकक्ता पर फकामया आर साहस स्व ्प् कप कि कण शक डी. ब्क छोर फितने ही बविधार्थी उनकी सद्ायतास कुछ रट-मंद ऋर पास 5. तथारों करते ५ सती दिपाल उठाकर सथा दिमाग प्रः शंनका सथारां कराते 8 श्ाता द्िद्ल्‍त ड्थाक्रर तथा दमारग पर ड़ 14 | 5 खो 1 परीक्षा पास को जाती हैं, उसका अनावश्यक धाँशध डालकर ५ परिणाम बदि कुछ सुत्दद हो तब तो कोई बात भी ६--परिणाम तो यह होता है कि पास धोकर भी विद्याथियाको दर-दर भटकना के पढ़ता है ओर उनके छुशका पारावार नहीं रहता | इस पर भी छोस कालेजकी शिक्षा की ओग दौड़कर अपनी मृखताका जो प्रदशन करत हैँ, वह चास्तवम हास्थास्पद्र ६ | अव प्रश्न यह हो सकता है कि आखिर फिर शिक्षाका क्रम क्या ओर ज्ञान-पिपास विद्यार्थी क्या करं। इसका उत्तर यही है कि को हमारे यहाँके मध्यम ओणीक छोगाके लिये तो यह शिक्षा कीडी काम तू हे [+ का री की हू नहीं, क्यांकि प्रथम तो वचपनस ही विदेशियों या विदर्श के ल्‍प




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