राजस्थान के कहानीकार दूसरा भाग | Rajasthan Ke Kahanikar Bhag 2

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Rajasthan Ke Kahanikar Bhag 2 by आलम शाह खान - Alam Shah Khan

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डॉ॰ आलमशाह ख़ान
जन्म 31 मार्च 1936
निधन 17 मई 2003

प्रकाशित कृतियाॅं- पराई प्यास का सफर, किराए की कोख, एक और सीता, एक गधे की जन्म कुंडली (कहानी संग्रह) राजस्थानी वचनिकाएं, वंश भास्कर: एक अध्ययन, मीरा: लोक तात्विक अध्ययन (आलोचना), राजस्थान के कहानीकार, ढाई आखर (संपादित), "किराए की कोख" कहानी पर फिल्म तथा"पराई प्यास का सफर"कहानी पर टेली फिल्म निर्मित

संप्रति- पूर्व प्रोफेसर मीरा-चेयर एवं अध्यक्ष
राजस्थानी विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर (राज.)
सदस्य, राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग, जयपुर

उदयपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में रीडर और राजस्थानी विभाग में प्रोफ़ेसर रहे आलमशाह ख़ान क

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रात्मवोघ प्ह ला सकती हो । पड़ी क्‍यों हो ? मैं व्यक्तिगत स्वत्तस्तता का हामी हू। जबरदस्ती करना मेरे धिद्धान्तो के खिलाफ है ।' नग्िस चली गयी। वह चर्चगेट से समन्दर की ओर चला। अपने आप में लोन और डूबा हुमा । “हुलो दिनेश !” दिनेश ने गर्दन उठायी। देखा- संतोप था | किसी भ्रच्छे साप्ताहिक में सह-सम्पादक था वह । “कहां से आ रहे हो' ? सन्तोष ने उसे देखते ही पुकारा । 'जहत्तुम से बहुत जल्दी झा गये । क्‍या वहा भी प्रन्डर आउण्ड सडवों बन गयी हैं ? इतनी भीड़ में इतनी जल्दी “ !! “तुम चुप रहो। तुम्हे मालूम ही है कि मुझे लोकप्रिय लेखक पसन्द नही | गुलशन नन्दा के तुम परिमाजित रूप हो ( संतोष जरा मुहफट था। उसकी बात से लिढ गया । कठोर स्वर में योला, 'गझ्रो उल्लू के पट्ठे, हमारे जोवन का ध्रुव सत्य खालीपन, नगे होकर भागने की इच्छा भौर ऊब ही नहीं है । तुम्हारी श्र-कहानो पढ़ी थी । रिश्ते !' *“*« उसने अपने बैग में से एक पत्रिका निकाली। “ उसका हाथ पकड़ कर बोला, “जरा एक किनारे झाझ्रो, तुम्हे भ्रपनी ही कहानी सुनाऊं ?! उसी ममय तोन साहित्यकार और झ्रा गये। बहस शुरू हो गयी । सस्ते पारसी रेस्त्रां की तलांश हुई। राइट हैइ के लास्ट कॉन्नेर के रेस्त्रां में वे घुसे । सतोष ने कहा “आप मुझे समझा दीजिए इस कहानी के सारे सरदर्भ !? 'तुम प्र-कहानी को क्या समभते हो ?! संतीप यंभीर होकर तेज स्वर में बोला, “मैं यदि नहीं समभूगा तो तैरा बाप भी नहीं समकेगा शौर यदि तेरा जायज या नाजायज बच्चा इस पृथ्वी पर है या होगा तो वह भी नहीं स्ममेगा । ।। बोलते क्यो नहीं वर्मा ?” पहले चाय का प्रार्डर दो 7 *प्राइंर देगा_ यह पत्थर ।' 'कौत पत्थर 7” मनुज मे बालों को कघो में बनाते हुए पूछा। वह तलवार कट मू छें भी रखता घा ।




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