श्रीमद्वाल्मीकि रामायण भाग - 9 | Shrimadvalmiki Ramayan Bhag - 9
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
589
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उत्तरकाणठ-पूर्वाह्ल
की
विषयानुकमणिका
प्रथम सगे १-९
शीरामचरद जी के गद्दी पर बैठ चुकने पर उनकी वधाई
देने के लिये पूर्व विशादि चारों दिशावासी कौशकादि
मदर्षियों का प्रागमन । भीरामद्वारा उनका पूजन । ऋषियों
द्वारा भौरामचन्द्र जी की प्रशंसा। ऋषियों के मुख से
इद्धज्ञीत की प्रशंसा छुन भीरामचन् जी का पिस्मित
होना । साथ ही उसके प्रभावादि सुनने के लिये भीराम-
चन्द्र ज्ञी का उत्छुकता प्रकट करना ।
दूसरा सर्ग १०-१७
उत्तर में ग्रगस्य जी द्वार रावण के पितामद पुल्तस्य
जी की कथा का वर्णन । विश्ववा की उत्पत्ति
तीसरा सर्ग १७-१५
रावण के पिता विधवा की तपश्चर्या। विधवा के
भरद्वाज़ का धपनी कन्या देना । इन दोनों से वैश्ववण को
उध्ति | विश्रवा द्वारा वैश्रवण का रहने के लिये, निक्ूंट-
पर्वतशिखर-स्थित लड्ढा का वतलाया जाना | वैधवण की. '
ल्लाकपाल पद् पर नियुक्ति, देवत्व प्राप्ति पव॑ सवारों के
लिये पुष्पकविमान की उपलब्धि |
चौथा सगे २५-३३
क्ड्ढा निर्माण के सम्रय ही से छड्ढा में ग्षसों
की श्रावादी का वृत्तान्त छुन, भीराम्रचद्ध जी का
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