भारतीय भक्ति परम्परा में श्री हनुमान | Bharatiy Bhakti Parampara Men Shri Hanuman

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Bharatiy Bhakti Parampara Men Shri Hanuman by सुरेन्द्र देव पाण्डेय - Surendra Dev Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कलम प्रत्तुत प्रबन्ध का विषय है- भारतोय भाौकत परम्परा मैं श्री हनुमान भारतोधथ धर्म्मास्त्रों में माँक्त को वविशभिन्‍न परम्पराओं का वर्णन प्राप्त होता है। प्राधोन काल में भक्त शब्द का परवोम आध्वानिक अथ में नहों था, तथापि तुनिश्चित है कक र्भाक्त भाष के और वैदिक क्षय में विधमान ये। ज्सोी अतोतमाव के गम ते भाक्त भाष प्रस्फुट्लशर्माक्त पर म्मभरा को अधिरत्न धारा प्रवाहित हो उठो। भाक्त के प्रमुख आचार्थां ने झेवर के प्रात अनुरा क्त को पराकाण्ठा को भीक्त को वंज्ञा दी है। वल्ठ्ुत: धर्म की अनुराग पूर्ण अनुर्मात हो भक्त है। भांक्त परम्परा मैं भाँक्त भाव वह दर्पण है, ण्वके प्रति म्ब | मकत भा अंपुर्व आप और उत्कृष्ट बोषन दब तदा तर्वदा प्री म्बत होता रहता है। भौकत परम्परा मैं हव॒ुमान जी को आदई भक्त के ल्‍प ग्रेप्र/तष्ठा प्राप्त है, जनके आप भाक्त रूपों का वर्णन महाषे वाल्मीकि तथा गोस्वामी छुतो दास यो एवं अन्य राम काच्य प्रणेताओं जे-मुक्त कंठ से वंणेत वैक्या है। भक्ता धरान श्रो हनुमान यो के अन्दः करण में अधि की ब्रह्माण्ड नायक परा त्पर परब्रहमम, भगवान श्री राम एवं पराम्बामगवतों तोता को धावित्र विलुदा वली सदैव विधमान रहतो है। कोच के रूप में गील्वामी तुलतोदास नी पर शध आक्ुष्ट किया। एमए) में विशेष अध्ययन करने के उपरात्त हनुमदर्भाक्त आदशे यक्ष ने इड्ले 14 विधायक सम्दर्मों में हनुमान माॉक्त का दिव्या र्तादव्य चारत्र एवं उदाचन्त




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