आंचलिक उपन्यासों में संस्कृति | Anchalik Upanyason Men Lok Sanskriti

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Anchalik Upanyason Men Lok Sanskriti  by क्षमा टंडन - Xama Tandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भामिका चाबतक शक न्‍ंपादाकाकाडथत कादतांतगताता मेरे शोध कार्य का विषय “अँधचिलिक उपन्यातों में लोक संल्काति” अपने आप में एक मौलिक विधघयय है | बचपन में जब कभी पिता जी के साथ किसी सम्बन्धी के यहाँ जाती और सम्बन्धियों द्वारा अपने बच्चों को डॉ0 बनाने की बात तुनती तो शक बार मन में चाह उठती कि क्‍या मुझे भी कमी डा0 बनने का सौभाग्य प्राप्त हो पायेगा । एक दिन अपने पुज्य पिता जी से जिन्हें मैं “बाद जी पुकारती थी पछाँ बाब जी | क्या मैं डा0 नहीं बन सकती । उस वक्‍त मैं हाई सकल में पद्ती थी | चैंकि मैं विज्ञान की छात्रा नहीं थीं इसलिए बाब जी ने कहा बेटा यदि तुम विज्ञान विघय लेकर पढ़ाई करती तो शायद ये तम्मव होता । मैं निराश हो गयी कि जीवन में मैं कभी डाक्टर नहीं कहलापाउंशी | फिर शक दिन बाब जी ने तमन्ाया बैटा तुम एम0 ए0 करने के बाद शोध कार्य करना | इस कार्य को परा करने के पाचात्‌ तुम डाँ0 क्षमा टंडन कहला सकोगी । बाब जी की यही बात मैन गांठ बांध ली | बी0 ए0 करने के पाचात जब मैन आगे पढने की इच्छा ठयक्त की तो धनामाव के कारण उन्होंने कहा“ बेटा दोनों भट्टयों से पृष्ठों वे नौकरी करते हैं यदि वे चाहें और पैसे से कुछ मदद करें तो तुम अगे पढ्टों, पर जब भाइयों ने कहा कि बी0 ए0 तो कर लिया अब ज्यादा पढ़ कर क्‍या करोगी | क्योंकि पढ़ाई में मेरी विशेष रूचि थी अतः मैं दुखी होकर रोने लगी । बाब़ जी ने पछाँ बेटा रोती क्‍यों हो मैंने रोले- रोते कहा बाब जी मेरी पढ़ाई छुड़ाई जा रही है। अब मैं कमी मो डॉ0 नहीं बन पाऊँगी । बाब जी थोड़ी देर तक मेरा चेहरा देख कर मुस्कुराते रहे




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