संस्कृत काव्यशास्त्र को उदभट का योगदान | Sanskrit Kavaya Sastra Ka Udbhat ka Yogdan

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Sanskrit Kavaya Sastra Ka Udbhat ka Yogdan by सुन्नीलाल द्विवेदी - Sunnilal Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आचार्य उद्मट का अलकार ग्रथ काव्यालकआाएरसाएसप्रैह है । हस ग्रन्थ को कर्नल जैकब ने जन आफ दि रायह रशियाटिक सौसाहटी १८६७ मैं अनूदित किया, इस ग्रथध की दग टीकारए' हैं। रक तो प्रतिहारैन्दुराज के दारा लिखित हघुवृत्ति, जिसका सम्पादन जो एकूटढी७ बनहट्टी ने &२५ मेँ किया था और दूसरी राजानक तिलक ढारा लिखित विवेक, हस ग्रन्थ मैं७६ काफिाओ मेँ जचाय॑ ने ४९ अलका परत का विवेषन किया हैं। वस्तुतः इस ग्रन्थ मैं विवेचित अहकारराँ के द्रारा हो जावाय॑ ने परवती अनेक आलकारिरकाँ को प्रभावित किया था | इ सके अतिएर्कि आचार उद्मट ने मामह के काव्यालकाए पर विव्ण *विव॒च्चि नामक टीका लिखा । यह टीका सम्प्रति अप्राप्य है। परन्तु अनेक उल्लैलाँ हारा इसके विष्यय मैं जाना जा सकता है. सन्‌ ६६७ मेँ पाकिस्तान के काफिसकौह नामक स्थान से शार््र छिपि में छू फटी पुरानी हस्तलिपिया' प्राप्त छू | हन हस््तलिपियाँ कौ पाकिस्तान पुरातत्व विमाग के निर्देशक श्री शफ७श७ खान ने प्र टुच्ची के पास मेजा | दे वद्याँ के उथक परस्षिम के बाद प्रौ७ ट्ज्वी नेहन हस्तलिपियाँ को सम्पादित किया और वैहस निष्कर्ण पर पहुवे कि यही” आचारय॑ उद्मट की प्रख्यात टीका भामह विवरण * है। परलन्‍्तु प्रसिद्ध विह्यान ह७ वी७ राघवन ने अटूबर, ६६६६१ मेँ श्री नगर २९५वोँ अखिल मारतीय प्राज्य सम्मेलन के अपने अध्यक्ीय माष्यण मैंइन हस्तलिपियाँ भामह विवरण्य * नहीं माना है। उन्हाँने ६० (क) लौचन, पु०७ १०३४०११३२४ और १५४६ । (ख) «“+«« तस्माद्‌ गह्हरिका प्रवाहेणा गृणगलकारमद हति मामह विवरण्णौ यद्‌ मट्टाद्मटा2म्यथातू तब्निरस्तम्‌ ७७ विवेक, पु७ १७ | (ग) शव्दाथालिका राणा गुण्णवत्समवापैन स्पितिर्ति भामह बता मट्टद्मटैन मण्वनमसत । (घ) अलकार सर्वस्व की समुद्रबन्ध टीका, पृ७ ८६ । (6) माण्पिनयचन्द्र सैकेते, पु७ २८६ । (च) प्रतिहा रैन्‍्दुराज, प७ ६३ । हे




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