नदी तीरे | Nadi Tire
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नदी तीरे [1 २५
“तो अब आपने इसवी बात मान ली है ?”
“और करते भी वदा | लडकी वो सिल-तिल करते दम तोढते
नही देखा गया !”
“में समभती हू कि आपने ठोक ही किया है। यह भभी विवाह के
योग्य है मी नहीं। या झाझु है इसकी ? ”
«इस फाल्गुत मास में यह पन्द्रह वर्ष को पूरी हो जाएगी।”
-“इसवा विवाह अभी छ, वर्ष तक मत करिए। तब यह विवाह
के गुण समभने लगेगी / उस समय यदि इसकी इच्छा हुई तो विवाह
हो जाएगा।
सरस्वती ने लक्ष्मी को प्रपनी श्रेणी मे जा बैठने के लिए कहा।
वह गई तो शारदाजी से पूछने लगी, “बहनजी ! एक बात पूछू।
बताएंगी ? ”
“हा । यदि बताने में कुछ द्वानि न समझ भाई तो बताऊगी (”
»आपकी भ्रव क्या झापु है ?
“मैं इस समय पैंतीस वर्ष की हू ।”
“और भाषने विवाह नहीं किया ?”
“मुझे सब मिस शारदा कहते हैं बहुनजी | मिस वा श्र कुवारी
लडकी ही होता है ।”
“आप अच्छो, सुन्दर स्त्री हैं। स्वस्थ भी प्रतीत होती हैं।तब
आपसे किसीने विवाह के लिए नहीं कहा ?”
शारदा से ऐसे प्रइन प्राय: स्त्रिया पूछा करती थी भौर अब वह इस
विषय पर ऐसे बात करती थी, जैसे किसी साडी-जम्पर की बात हो १
उसने कह दिया, “ कई मिले हैं, जिन्होंने विवाह का प्रस्ताव किया
है । मुझे उसमे से कोई भी पसन्द नहीं भाया। श्राप. सबके सब दौप-
पूर्ण दिखाई दिए थे ।
« जीवन मेएक ऐसा भी मिला था, जिससे मैंने विवाह का प्रस्ताव
किया था, परन्तु उसने कह दिया कि उसकी सगाई मुझसे कई गुणा
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