निरन्तर | Nirantar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)में एक सौभाग्यवतो नासे हे रूप में देखते आ रहे ये । हि
उस युवती को अदस्य बछी प्चोच की ही हो पायी होगी। सोने
हि दो घृड़ियाँ मात्र उठडे दादें हाय में पड़ी हुई थी । बाय हाथ में एड
कलाई घड़ी थी भौर दवे में एक इतनी सोने की जंजीर । इसके बडि-
खित सारी वेंश-दूरगा दुए घदव खादी को थी । ने भांय में मिल््दूर
अजित था, म॑ भाव सुट्यय विन्दी। हाँ, केश-विभाजन हो रेदा
में इतना अवश्य पर इंद्र था कि कन्धे का उपयोग दोक टंय
किया गया है ।
स्थान रिक्त हैं; ने पर ररमेश्वरीलाल जद उसी दर्य पर बंदने
णगे, तो जाहदो हे हज छो अपनी दादी ओर से बायीं मोर कर
और क्षेप्र को पुरेदद् पद्म रहने दिया। परमेश्वरीसाल ने लक्ष्य शिद्यि
कि इस नाते ने इस बच्चे छो इसलिये यहाँ विदा लिया है हि हयारे
भ्रीच में कम-दे-दन दच्दे झा हो व्यवधान पड़ जाग।
अब की प्ररेम्दरशत्ाच को यह प्रदान था हि पह ना है
कौन ? बौर वह भो मानादि में विल्दुल परिचित्र न थी ।
खा
उनके नाम पर वहाँ एड दो क्रद सक बनी हुई थी।॥ इसने बदिरिस
दे मगरपानिका के हो एड प्रतिध्यित सदस्य ये
संयोग को वात, डिच्दे में बेठे हुए दुछ ब्यकित्र उन्हों
बातें कसते हुए कह रहे दे-- इंबर दस दर्षों े को
शालो सदस्य नगरपालिका में था सही, जो अपने दिवाईिन
बड़े बहुपत के माय चुना दया हो ।'
1 1
दद्थरा गत
झलने में कही झिठी मे झह दिया--' डिन्तु न
है फ़ि देवारे बत्यावस्था में हो न रहे । दुत।े हैं ओ
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