ज्योति पुरुष | Jyoti Purush
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अंक : एक
द्श्य मु एक
/* स्थान : कलकत्ता स्थित
सिमुलियापलली में
*. *बैरिस्टर विश्वनाथ
- दत्त का निवास
. समय $ प्रातकाल
(घीतर के मध्यभाग में बने विशाल गोलाकार हॉल की सप्पल तालदी,
सुरुचिपूर्ण एवं कलात्मक साज-सम्जा। यदाकदा भीतर आ रही हवा
को .मंद लहरियों से हिलहिल उठते पर्दों के उस पार से बाहर की रंग
बिएंगी प्राकृतिक छठा झलकाती खिड़कियों के दीच कुर्सियों से घिरी
भोजन की मेज, उस पर रखा एक सुन्दर फूलदान, दक्षिणी दोवार से
सटे शीशे के पारदर्शी शो-केस में रखे कुछ खिलौने, उस पर रखी
भदराज की विशाल कॉस्य प्रतिमा दीवारों पर टंगे महापुरुषों के कुछ -
तैलचित्र, छत से लट्के तीन सुद्दर फानूस,तथा पश्चिमी दीवार के
पाप्त बिछा बड़ा झक्क सफेद गद्दा व उस पर रखी दो बड़ी मसनदें। .
भोजन की मेज के पास ही रसोईघर का दरवाजा तथा उसी से सटा
एक छोटा-सा गलियारा, जो बाहरी बैठकर से जुड़ा है, जहाँ कानून को
मोटी-मोटी किताबं और आत्यारियों में दूँस-दुसकर भरी फाइलो के
बीच बैरिस्टर विश्वनाथ दत्त अपने मुवक्किलों से भेंट करते है।
दीवार पर टगी पेण्डुलम बाली घड़ी मे इस समय,सात बज रहे है।
रसोईघर के दरवाजे के बाहर पीढ़े पर बैठी सब्जी छील और काट
रही तथा बीच-बीच में सफाई के काम मे लगी नौकरानो जमुना पर .
दृष्टि डाल लेती वैरिस्टर दत्त की विथवा बूआ,, जिसे सव पीशो बूआ
कहकर पुकारते है।_._ हू
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