पण्डित गिरिधर शर्मा नवरत्न व्यक्तित्व और कृतित्व | Pandit Giridhar Sharma Navaratn Vyaktiv Aur Krititv

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Pandit Giridhar Sharma Navaratn Vyaktiv Aur Krititv by नन्द चतुर्वेदी - Nand Chaturvedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नन्द चतुर्वेदी - Nand Chaturvedi

Add Infomation AboutNand Chaturvedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
युक्ति एव घंयंपूवक अनुकूल बना कर इन्दोर जैसे कट्टर मराठा राज्य में मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति की स्थापना सन्‌ 1914 ई में की जिसका उद्देश्य हिंदी विश्व- विद्यालय की स्थापना रहा था सन्‌ 1935 मे वे श्री भारतेदु समिति कोटा के श्रध्यक्ष बने भौर इस सस्था को आपने पुनर्जीवन एवं स्थायित्व प्रदान किया राजपूताना से सवप्रथम आपने विद्याभास्कर नामक मासिक पत्र सन्‌ 1906 ई में निकाला जिस समय आपकी झायु मात्र 26 वय की थी इंदौर में सन्‌ 1914 ई मे श्रीम भा हिंदी साहित्य समिति की स्थापना कर चुकने के पश्चात्‌ श्राप बम्ब्ई गये जहा काग्रेस का अधिवेशन लॉड सिनहा के सभापतित्व में हो रहा था 'कर्मबोर' गाघी भी उसमे सम्मिलित हुए थे वही गाधी जी से झाप मारवाडी विद्यालय मे मिले उनके साथ रहे एवं उनको भारत की एक राष्ट्रभाषा हिंदी का दीक्षामत्र दिया और सुखद आश्चय कि अगले ही वपष लखनऊ के काग्रेस श्रधिवेशन में देश की राष्ट्रभाषा हिंदी घोषित कर दी गई उही दिनो वम्बई मे हिंदू महासभा का अधिवेशन महामना मालवीय के सभाप- तित्व भे हो रहा था सभा में प्रपने भाषण मे नवरत्नजी ने कहा--मालवीयजी हिदू यूनीवर्सिटी के द्वारा देश का मान पा सकते हैं कितु गिरिधर शर्मा से सम्मान तो वे तभी पा सकेंगे जब वे हिंदू भुनीवर्धिठी को हिंदी गूनीवर्सिटी बता देंगे पर भाषा का शिक्षण मातृभाषा के माध्यम से दिया जाय इतना सामथ्य हिंदी मे आना ही चाहिये जब तक देश शझपनी भाषा नही सीखेगा तव तक उसकी स्वाघीनता कैसी” जब तक देश का चरित्र विकास न होगा तब तक उसकी गआ्रात्मोन्नति कैसी ? और चरित्र विकास का पाठ प्रारम्भ होता है नहे-नहे शिशुम्रो से छहोने ईश्वर प्राथना लिखी जिसे महात्मा गाधी से बहुत ही सराहा भ्ौर उसे राष्ट्र के चरित्र को घडने वाली एवं सुधघड दृतति उद्धोषित किया उनके राष्ट्रीय गान” एवं “मातृभूमि वदना” मे स्वदेश प्रेम छलका पडता है 'बच्चा' शीपक उनकी कविता स्वर्शिम भारता के वाल्क का चित्र प्रस्तुत करती है “नवरत्न वणमाला” एवं “सर्वोदिय झ्रदार बोध” में बालको एवं प्रौढा की बडी परिपुष्ट निर्माण-सामग्री है नवरत्न जी मे सवप्रथम विश्वकवि रवोद्व माथ टैगोर की प्रतिभा को पहचाना जबकि उहे 'नोवल पुरस्वार! भी नहीं मिला था गीताण्जलि के सवप्रथम पद्मानुवाद की घध्वय मूल कवि ने सराहना फी, इससे बढ़ कर पनुवाद की क्या सफ्लता हो सकती है ? नवरत्न जी से स्वय रवि बादू ने हिंदी साहित्य सम्मेलन के 27वें अधिवेशन 7




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now