मारवाड़ का इतिहास भाग 1 | Merber Ka Itihas Bhag 1

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Merber Ka Itihas Bhag 1 by श्रीयुत विश्वेश्वरनाथ रेउ - Shri Vishweshwarnath Rau

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( डा) पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जाने लगा था, इसी से इस पुरतक के संपादन में विकडप- रूप से लिखे जान्वाले शब्दों में कहीं कहीं भिन्नता रह गई है | इसके _्रलावा इस इतिद्ास में कहीं-फह्ीं पुरानी र्यातों में मिलने वाले श्रावणादि ( थ्ावण मा से प्राम्म होनवाले ) संब्रतों को चत्रादि ( चैत्र पुदि से प्राएम कोने वाले ) संबतें में परिवतेन कर लिखना छूट गया था, इसी से शुद्धि पत्र ने० है में यह संशोघन दे दिया गया है । परन्तु इसमें के राजाओं के चित्रों के नंघचे जो राज्ययप दिर गए हैं वे चनन.दि संव्तों में ही हैं । व इस इतिहास के लिखने में जिन-जिन मुद्रित और शमुदित ग्रन्थों से सहायता ली गई है, उनके अवतरण और नाम आदि यथाश्थान टिप्पणी में देन का प्रयत्त किया गया है | यद्यपि वर्तमान मारवाइ-नरेश के राजत्वकाल का इतिहास इसके “प्रथम परिशिष्ट' में दिया थैपा है, तथापि बड़ इस इतिहास का ही एक अ् है । इसके लावा उन बातों का उल्लेख भी, जो माखाड़-राज्य के इतिहास से गौणरूप से सम्बन्ध रखती हैं, वन्य परिशिष्टों में दे दिया गया है | हमारा विचार इस इतिहास के साथ ही मारबाद का संध्तिप्त भौगोलिक बर्सान भी जोड़ देमे का था, परन्तु कई वार्णों से ऐसा नहीं सका। इसके प्रकाशन में जोघपुर गव्नमेंट-प्रेत के सुपरिन्टडेंट मिस्टर चनपुरी और श्पन्य कमेचारियों ने जिस तत्परता से सद्दायता दी है, उसके लिये ने घन्यवाद के पात्र हैं । ज़ाध्यपुर न चिश्वेद्वरनाथ रेउ. ्राकियालींजिकल डिपार्टमेंट, है दे घाषाद खुदि १४ विं० सं० १९६१४.) चर




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