राई - राई रेत | Raee Raee Ret

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
1 MB
                  कुल पष्ठ :  
78
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)म्हारो सेत प्रागगो । मैं मुइग्पी । रिसाल घागीने निसर्यो । पण उण री
ग्रुलावी साही री चिमरक अब भी म्हारी झार्या माय चुममे ही हे है!
महारै काया माय प्रचाणघक सुशीज्यो-लालजी, थे कद भाया
में चिमक्यों ! चिनेक सभक्षत्रों थक्रों बोल्यो, “प्राज सू वारा ही प्रायो हो
ज्ञाभा | पए था सिर पर खारियो लिया कठे जावो हो २”
कह ब्र थारो भाई प्राज बिडदसर जास्या ।1/
ण्क्यू २ 
“सावरिया र॑ छोरो हुया हैं ।*
* ज्ञावर जो रै लड़को हुयो है! गई साल तो व्याव ही हो हो ।”
“तो के | थारो ब्याव हुज्यावतो तो क थार नी हुज्यावता 17
नील्ती ।”
'थारो भाई तो थारी सगाई रूकमण सू करावर्ण री सोच रेया है ।”
“बारी भास यू 7 ये वक्ष भर माय ही सोवसरो--व/ असापढ गवार
मेरी बहु बणेली ? में पलट र बोल्यो, “करावो तो सरी, भूठी बाता करो 1”
“थे प्राज ताई हा ही कद करी ? झ्राज बेयी हो तो समभलयो सगाई
पक्की ।/
 नही भाभी | मने श्रवार ब्याव-सगाई सू काई लेवणो ! प्रेक साल
भौर पढल्यू , इण रे पहछ कैबू ला।”
्रेक स लू ढेर जाएं, सगाई तो करए्यो )
ना भई ! मरने तो श्र कट पभ्ाछए को लागेनो ।” साम मुरली भागा ने
प्रावता देश र में बोलवालो हुमप्पी । भाभी भ्रागे निस्तरगी 1!
भागों कने भ्रायर कँयो, ' विज़ू मैं तो प्राज सासरे जा रहथो हू, तू भा ही
गो तो राव रात सेत्र मे रह जाजे बापू झरेक दक_्षोटण मे जावेला ।”
में चिमक कर वेब  “्रढे श्रेकल ।!!
“बपू पैला कोनी रैवतो
मरने याद झाव, हा, पेला तो मैं भे ऋलो ही सोया करतो ग्रढे | ज्यार
खसुटागाड र .पास रो माचयो बजा २। हैँ ववू , “दर श्रध कोठी रईयो जाने
भावा ॥!
अब क्यू कोनी रेयो जाव॑ ? तने तो श्र कल्ो रेदणी रो प्राछ्ली प्रम्यास
है ।
को सैमस्यो । को नो बोच्यो । भायो मय कैबता ग्रागे जायें हू, !वादक्क-
वाई हो री है, मांची माय घाल लीजें । माय काम वही है, गोढ लोजे ।
(६ २५ )
 
					 
					
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