राई - राई रेत | Raee Raee Ret

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Raee Raee Ret by बी॰ एल॰ माली अशांत - B. L. Mali Ashant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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म्हारो सेत प्रागगो । मैं मुइग्पी । रिसाल घागीने निसर्यो । पण उण री ग्रुलावी साही री चिमरक अब भी म्हारी झार्या माय चुममे ही हे है! महारै काया माय प्रचाणघक सुशीज्यो-लालजी, थे कद भाया में चिमक्यों ! चिनेक सभक्षत्रों थक्रों बोल्यो, “प्राज सू वारा ही प्रायो हो ज्ञाभा | पए था सिर पर खारियो लिया कठे जावो हो २” कह ब्र थारो भाई प्राज बिडदसर जास्या ।1/ ण्क्यू २ “सावरिया र॑ छोरो हुया हैं ।* * ज्ञावर जो रै लड़को हुयो है! गई साल तो व्याव ही हो हो ।” “तो के | थारो ब्याव हुज्यावतो तो क थार नी हुज्यावता 17 नील्ती ।” 'थारो भाई तो थारी सगाई रूकमण सू करावर्ण री सोच रेया है ।” “बारी भास यू 7 ये वक्ष भर माय ही सोवसरो--व/ असापढ गवार मेरी बहु बणेली ? में पलट र बोल्यो, “करावो तो सरी, भूठी बाता करो 1” “थे प्राज ताई हा ही कद करी ? झ्राज बेयी हो तो समभलयो सगाई पक्की ।/ नही भाभी | मने श्रवार ब्याव-सगाई सू काई लेवणो ! प्रेक साल भौर पढल्यू , इण रे पहछ कैबू ला।” ्रेक स लू ढेर जाएं, सगाई तो करए्यो ) ना भई ! मरने तो श्र कट पभ्ाछए को लागेनो ।” साम मुरली भागा ने प्रावता देश र में बोलवालो हुमप्पी । भाभी भ्रागे निस्तरगी 1! भागों कने भ्रायर कँयो, ' विज़ू मैं तो प्राज सासरे जा रहथो हू, तू भा ही गो तो राव रात सेत्र मे रह जाजे बापू झरेक दक_्षोटण मे जावेला ।” में चिमक कर वेब “्रढे श्रेकल ।!! “बपू पैला कोनी रैवतो मरने याद झाव, हा, पेला तो मैं भे ऋलो ही सोया करतो ग्रढे | ज्यार खसुटागाड र .पास रो माचयो बजा २। हैँ ववू , “दर श्रध कोठी रईयो जाने भावा ॥! अब क्यू कोनी रेयो जाव॑ ? तने तो श्र कल्ो रेदणी रो प्राछ्ली प्रम्यास है । को सैमस्यो । को नो बोच्यो । भायो मय कैबता ग्रागे जायें हू, !वादक्क- वाई हो री है, मांची माय घाल लीजें । माय काम वही है, गोढ लोजे । (६ २५ )




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