साहित्यशास्त्र का पारिभाषिक शब्द कोश | Sahitya Shastra Paaribhaashhik Shabda Koshh

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Sahitya Shastra Paaribhaashhik Shabda Koshh by राजेन्द्र द्विवेदी - Rajendra Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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£ अतिशयोक्ति दोष हो जायगा क्योंकि वैसा करने से श्रन्वय करने में कठिनाई पैदा दो जायगी । यह वाक्य दो ष (दे० यथा०) है । अक्रमातिशयोक्ति--श्रतिशयोक्ति नामक श्रर्थालंकार का एक भेद । विशेष दे० श्रतिशयोक्ति । अक्तमा-- नाटक में रसपोष के लिए प्रयुक्त होने वाले तेतीस नाट्यालंकारों में से एक । विशेष दे० नाथ्यालंकार । शअक्तरसंघात --नाटक में रसपोष के लिए प्रयुक्त होने वाले ३६ नाटक- लक्षणों में से एक । विशेष दे० नाटक-लक्षण । अगूढ़ -गुणीभ्रूत व्यंग नामक मध्यम काव्य के श्राठ मेदों में से एक । विशेष दे० गुर्णीभूत व्यंग्य | जहत्स्वार्था-लक्चणा नामक शब्दशक्ति का एक भेद । विशेष दे० लक्षणा अतदूरगाण-तद्ुपाननुहारस्तु हेतो सत्यप्यतद्गुण ।-- साहिस्यदपण एक श्रथालंकार जो हेतु होने पर भी दूसरी वस्तु के गुण ग्रहण न करने पर होता है । जेसे-- (१)हे राजदंस चाहे तुम गंगा के उजले पानी में नददाश्रो या जमुना के श्यामल पानी में तुम्हारी शुभ्नता वैसी दी रहती है न घटती है न बढ़ती है । (२) सिव सरजा की जगत में राजति कीरति नोल । धरि तिय दूरग भजन हर तऊ घोल की धोल ॥--भूषण श्यतिक्रति-२५ वर्गों वाले वार्णिक छुन्दों की जाति का नाम । विशेष दे0 बृत्तजाति | तिजगती--१४ वर्गों वाले वाणिक छन्दों की जाति का नाम । विशेष दे० बूतिजाति | अतिथधृति-- १६ वर्णों वाले वार्णिक छुंदों की जाति का नाम । विशेष दे० बृत्तजाति । अतिवरवे--विषमनि रवि श्रतिवरवै सम निधि कल जंत १२-६ पर यति बाली २१ मात्राशओं श्रौर श्रंत में जगण से बनने वाला श्रद्ध सम मात्रा छुन्द । ्तिशक्वरी--१५ व्णों वाले वर्णिक छन्दों की जाति का नाम । विशेष दे० बृत्तजाति | अतिशयो क्ति-सिद्धत्वेध्यवसायस्यातिशयो क्तिनिगद्यते--साहित्यदपंण एक श्रर्थालंकार जिसमें श्रष्यवसाय ( उपमेय का निगरण कर उपमान का मेदशान ) को सिद्ध रखा जाता है | यद्दी श्रध्यवसाय उमेक्षा में उपमेय के श्रनिश्चित कथन के कारण साध्य रता है । वस्तुत कुछ गिनी-चुनी प्रशालियें से इसमें श्रतिशिय




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