निबन्धादर्श | Nibandhadarsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोकुलचन्द्र शर्मा -Gokulchandra Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७ [ निबन्ध-मेद
प्रत्येक विषय फी एक सीमा होनी चाहिए। उस सीमा फी
परिधि को अच्छी तरह देसकर और अपनी शक्ति को तौलकर
ही लेसनी उठानी चाहिए। जैसे , 'मेला' विषय पर जो ले होगा,
उसमें मेलों का इतिहास, उनका प्राचीन तथा आधुनिक रूप,
धार्मिक सम्पन्ध आदि अनेक बातें आ जायँंगो । परन्तु रामलीला
का मेला' अथवा 'अलीगढ की रामलीला का मेला! किंवा 'सरयू-
सरण का दृश्यों इन लेखा में विषय सीमित तथा परिसीमित हो
जायगा और उसका छिफना सुकर होगा। लेसक की कक्ा तथा
योग्यता के अनुसार ही निय्न्न्ध की सीमा निर्धारित कर लेना
उचित है।
५४-निबन्ध-भेठ
यो तो ऐतिहासिक, दाशनिक, चैज्ञानिक, राजनीतिक, तुलना-
स्मक, बर्णनात्मक आदि अनेक प्रयन्ध-भेद कहे जा सकते हैं ।
जिस दृष्टिफोश से किसी विपय विशेष को लिखा जाय, उसी
उद्देश-विशेष से उसे एक अलग नाम दिया जा सकता है। परन्तु,
साधारणतया निबरन्ध में चार बातें प्रधान होती हैं,--वर्णन, कथा,
व्याख्या और तक । इन्हीं चारों के आधार पर निबन्ध के मुख्य
चार भेद किये जाते हैं, चर्शनात्मक, फथात्मक, व्याख्यात्मक और
ताकिक । अन्य-अन्य प्रकार के निबन्धों का समावेश किसी न
किसी रूप मे इन्हीं के अन्तर्गत हो जाता है ।
है
User Reviews
No Reviews | Add Yours...