मैं नहीं माखन खायो | Main Nahi Makhan Khayo

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Main Nahi Makhan Khayo by प्रेम जनमेजय - Prem Janamejaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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25 “सुना है आपके कारण पार्टो की छवि घूमिल हो रही थी 1” “पार्टी की छवि, कैसी छवि ? जो मुझ पर अग्रुली उठा रहे हैं, हें आप दुध का घुला समभते हैं । पार्टी को कया चाहिए वोट एम०एल० ए०, एम० पी० 1 छवि से क्या मिलेगा ? हमारे पास कम एम० एल० ए० सही हद ह है “सुना है हाईकमान आपकी हरकतो से नाराज है।” “नही, बिल्कुस नही । मैं आखिरी दम तक साथ हूं 1 (चाहे वो साथ ज हो) मुझे कुर्सो का मोह नही है। (मूठ बोलते हुए उनकी जुबान लड- खडा रही थी ।) मैं अपनी नेता को मुश्किल मे नहीं डालना धाहूता हू । मैंने त्यागपतश्र दे दिया है अपनी मर्जी से । मैंने कुछ मही किया फिर भी त्यागपत्र दे दिया है। आप सोच सकते हैं कोई उपमुख्यम त्री ऐसा नीच काम करेगा ।” वे बोलते हुए “उत्तेजित” हो गए थे । “पर आपने भविष्य मे कभी भी दराब न पीने की सोगध खायी है ।” वो हकबका गए । उहोने बगलें फाकी, ती उसमे से शराव की गध आई। वे लडखडा गए । “हा खायी है, शराब न पीने की कसम । अखबार चाला के सामने खायी है इन अखबार वालो को मसाला चाहिए न अब आप कहिए किसी को चोर, डाक्‌ या ह॒त्यारा कहने से पहले उसे माय- लय मे सिद्ध किया जाता है. चोर, डाकू और ह॒त्यारे हम उपमुख्यमत्री बया हम घोर, डाक और हत्यारे से भी गए बीते हैं. अऋब को जो कसम है एक बात में कह दू कि मैं पूरी तरह से साथ हू. अखबार बाले तो ये असतुष्ट . मैंते त्यागपत्र अपनी मर्जी से दिया है.” वो हष्टबडा गए थे, 'उनका जीव कुर्सी मे था, वी छठपटा रहे थे ।




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