भाषा चन्द्रिका | Bhasha Chandrika

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Bhasha Chandrika  by अगरचन्द भैरोदान सेठिया - Agarchand Bhairodan Sethiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषाचल्द्रिका । झ्३्‌ू्‌ य्स्प्फ्ल्प्णूप य्य्प है, जैसे दो इजार 'रुपयों से हाथी मोल लिया । इस हेतु से या इस कारण” से वह मारा गया। मुझ से यह नही हो सक्ता | तुम से अब पढ़ा नहीं जा सक्ता | विधा से मतिष्ठा और घन दोनों मिलते हैं। ॥ $. सम्मदाना जिसको कुछ दिया जाता हैया मित्रे लिये कुछ क्रिया जाता है वहीं और कहीं योग्यता, औचित्प, प्रादर, आवश्यतक्रा आदि प्रकाश करने में सम्मदान पता है, जैसे लड़कों को मिठाई दो । आप के लिये पद करता हूं' । उस को यह करना योग्य नहीं है। भाप लोगों को ज्ञमा करना ही उचित है । आपको नमस्कार, पिताजी को दस्डवत । रामदत्त को भयाग नाना होगा |, ही । क्र अपादान | ,. - जहां बहुत वस्तुओं मे' से एक का निश्चय ,फरना हो वहां अपादान कारक होता है । अपादात कारक फा चिंठ से! अधिकरण कार के चिह मे” से - प्‌ क्षण खिह हे! ने रहने पर थी कोन चछ सकता कै ते इस इेहु या एस सारण दद माय गया। कह | ४ + 1 गे




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