दुर्गा पुष्पा ज्जलि: | Durga Pushpa Jjli

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Durga Pushpa Jjli by मुनि जिनविजय - Muni Jinvijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला में प्रकाशित कुछ विशिष्ट ग्रन्थ संस्क्ृत साहित्य ग्रन्थ- , प्रमाशमद्जरी-ताक्कि-बृढ़ामणि-सर्वेदेवाचार्य अणीत | तीन व्याख्याश्रों से तमलड्कृत । , यन्त्रराजरचना-जयपुरनरेश महाराज सवाई जयपिंह कारिता। » महपिकुलवेभवमृ-विद्यावाचस्पति स्व० श्रीमबुस्रृदन श्रोझा विरचित | « तकसंग्रह फक्किका-प० छमाकल्याणछत | . कारकसंबन्धोद्योत-प ० रमसनन्दिछृत । , वृत्तिदीपिका-प० मौनिहृष्णमटकृत | , शब्द्र॒त्नप्रदीप-संक्षिप्त सस्कृत शब्दकोष | क्ृष्णुगीति-कविप्तोमनाध-छृत गीतिकाव्य ) . शृद्भारहारावलि-हर्षकवि विरचित | « चक्रपाणिविजयमहाकाव्यमू-प०लक्ष्मीघर्सट्ट-रचित | , राजविनोद महाकाव्य-क्वि उदयराजविरचित | . नृत्तसंग्रह-नाव्यविषयक पठनीय अन्य | » चृत्यरन्नकोश ( अथस भाग )-महाराणा-कुम्मकर्ण-प्रणीत । » उक्तिरल्ञाकर-पणिडित साधुसन्द्रगयीकहृत | « दुर्गापुष्पात्नलि-महामहोपाध्याग १० श्रीदुर्गाप्रसाद ह्िवेदी रचित ) राजस्थानी मापा साहित्य ग्रन्थू- « कान्हडदे प्रवन्ध-कवि पश्मननास विरचित | « क्यामखां रासा-छस्लिम-कवि जानइझत । ३. लावारासा-चारणक्विया गोपालदानकृत | ४. वांकीदासरी ख्यात-चारणकवि वॉकीदासरचित |




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