तमिल कम्ब रामायण [ किष्किन्धाकाण्ड - सुन्दरकाण्ड ] | Tamil Kamba Ramayan [ Kishkindhakanda - Sundarkanda ]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
54 MB
कुल पष्ठ :
1017
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ट्रस्ट के विद्वानों एवं शिल्पी कलाकारों का श्रम एवं ट्रस्ट के पवित्न कार्य के
प्रति उनकी लगन और समरपित मनोवृत्ति “इस बल पर हम इस त्वरा
गति से कार्य को सम्पन्न करने में सफल हो सके हैं। इसलिए यह चरितार्थ-
है कि श्री शेषाद्रि के उपक्रम से हिमाद्वि चलायमान हो गये ।
बालकाण्ड के प्रकाशकीय का सार
लिपि के माध्यम से भाषाई सेतुबन्धन का महत् उद्देश्य; १९४७ ई०
से अकिञज्चनू की साधना; १९६९ ई० में 'भुवन वाणी ट्रस्ट” की स्थापना;
तब से अब तक सभी भारतीय भाषाओं के अनेक सानुवाद लिप्यन्तरणों की'
सम्पूृति; विदेशी भाषाओं के नागरी लिप्यन्तरण पर भी काम आरम्भ;
तागरी लिपि में अप्राप्य अन्य भाषाओं की विशिष्ट ध्वनियों (स्वर-व्यञ्जनों )'
के सिर्जन से राष्ट्रलिपि का शूंगार; विशेष रूप से तमिकछ लिपि की'
जटिलता; हिन्दी रूपान्तरकार वयोवुद्ध किन्तु अतिकर्मठ विद्वान आचार्य
ति० शेषाद्वि का हमारे पुनीत उद्देश्य की पूर्ति में योगदान --बालकाण्ड'
की भूमिका में इन सबकी चर्चा है। तमिक्ठ ही नहीं, विश्व'की सभी
लिपियों और भाषाओं के पीछे, देर-सबेर, एक दिन एक मूलोदु्गम के मत
की ओर संकेत भी किया गया है ।
बालकाण्ड में विद्वानों के प्रावकथन
मद्रास विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ० एस्० शंकर राजू
नायडू; कम्बनूचरण-रेणु श्री सा० गणेशनू; तमिक्ठनाडु के चीफ़ जस्टिस
श्री एमू० एम्० स्माइल; जस्टिस श्री महाराजन; स्व० श्री० के० सन्धानम्.
आदि के प्राक्कथन; और सर्वोपरि, आरम्भ में ही श्रीस्वामी चिन्मयाननन््दजी
महाराज का सोललास आशीर्वाद --यह सब बालकाण्ड में अक्षरश: मुद्रित हैं।
बालकाण्ड पर प्रतिक्रिया
जनता का उद्घोष जनाद॑त का उद्घोष है। आवाज़ए खल्क़,.
नक्क़ारए खुदा ! चारों ओर से इस प्रयास को प्रशंसा प्राप्त हुई । उत्तर-
दक्षिण, हिन्दी-अहिन्दी, ये भ्रान्तियाँ उड़ते शुष्क-श्वेत बादलों के समान
विलुप्त हो रही है। विशेष रूप से तमिल्ननाडु में ही, ग्रन्थ और ग्रन्थकार
एवं ट्रस्ट के आजीवन न्यासी आचार्य ति० शेषांद्रि का स्थान-स्थान पर
स्वागत हुआ। एक स्थल पर, उस समय के महामहिम- राज्यपालः
श्री प्रभुदास बी० पटवारी द्वारा विभोचच; तसिक्कनाडु के सू्धेन्य पत्र
पत्निकाओं में न केवल 'कम्ब', वरन् सभी भाषाओं पर ट्रस्ट के कार्यो की
सराहना --ऐसा हुआ जन-मानस में आलोडन !
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