बृहदारण्यकोपनिषद | Brihadaranyakopanishad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
1147
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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( रह )
विषय परष्ठ
२३५, ब्रद्मवेत्ताकी स्थिति ओर याशवस्क्यक्रे अति जनकका आत्मसमर्पण. १११७
२३६. आत्मा अन्नाद और बसुदान है---इस प्रकारकी उपासनाका फछ ११२३
-२३७, ब्रद्मफे खरूप और ब्ह्मशकी स्थितिफा वर्णन ** ११२४
पश्चम ब्राह्मण
२३८. याशपत्क्य मैन्ेयी-संवाद *** सह + शश्श्ट
२३९. याशवलक्य और उनकी दो त्लियाँ कक ** ११२९
२४०, याशवल्वय मैनेयी-संग्ाद हड *** ११३१
२४१. मैनेयीका अम्ृतत्वताघनविपयक प्रश्न ले || शक
२४२. याशवल्क्यजीका सान्तनापूर्वक समाधान *** ** शश्३े२
२४३. प्रियतम आत्माक़े लिये हो सब्र बस्त॒एँ प्रिय होती है ** ११३३
>२४४, भेददृष्टिसे हानि दिखाऊर सब्र कुछ आत्मा ही है? इस तत््वका
उपदेश नग्न नग्न *** ११३५
२४९५. सबकों “आत्मा? रूपसे ग्रहण करनेमें दशन्त “** १११६
२४६. निर्विशेष आत्माके विपयमें मैत्रेयीकी शड्ढा और याशवल्क्यक्रा
समाधान जा 5 1 >*४ इक
२४७, अपदेशका उपसंदार और याशयत्क्यका संन्यास ४ ११४२
पष्ठ ब्राह्मण
7२४८, याशवल्कीय काण्डकी वंश परम्परा शक ** ११६१
पश्चम अध्याय
प्रथम चाह्मण
१४९, पूर्णब्रह् और उससे उसन्न होनेबाल पूर्ण कार्य + श१६४
२५०. <» ख ब्रह्म और उसकी उपाठनाका बर्णन ** ११७७
द्वितीय प्राह्मण
२५१. अजापतिका देव) मनुष्य और असुर तीनोंको एक ही अक्षर
८द? से प्रथकू परथकू दम, दान और दयाका उपदेश + ११८४
हतीय ब्राह्मण
“२५२. हृदय ब्रक्षकी उपासना श्र *** ११९२
चतुर्थ ब्राह्मण
“१५३, सत्य ब्रह्मकी उपासना 9४ “* ११९६
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