तत्त्वार्थसूत्र अर्थात मोक्षशास्त्र सटीक | Tattvarthasutra Arthat Mokshashastra Sateek
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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No Information available about पं पन्नालाल जैन साहित्याचार्य - Pt. Pannalal Jain Sahityachary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५ अयम अध्याय
चर्तभानम पुतारी कदना और मविष्यतमें राजा होनवाले राजपुत्रको
शाता कहना |
भायनितेप--कयर वर्तमान पर्यायक्री मुस्यतासे अर्थात् जो
बाय जैसा है उमर! उसी रूप कहना सो मावनिक्षेप है। लैसे-
काएजे काछ अवम्धाम काठ, आगी होने पर आगी ओर कोबरा
दडोजाने पर कोयन्य कहना ॥ ५ |
सस्यगदशन -ादि तथा तत्वोझ ज्ञाननंब उपाय--
अमागनयरधिगमः ॥ ६ ॥
अध--सम्पदरन आदि सलत्रेय और जीव आदि ततवोंसा
६ अधिगम ) ज्ञान ( प्रमाणनये ) प्रमाण और नयांस [ मरति ]
होता है।
प्रशाण--जोे पटाथक स्वेत्गको ग्रटण करे उसे प्रमाण कहते हैं
इसफ दो भेद ह। १ प्रत्यभ प्रमाण और २ परोश्ष प्रमाण। आत्मा जिस
ज्ञान+ द्वारा किसी गद्य निमित्तकी सायताक विना ही पदार्थोंको स्पष्ट
जाने ससे प्रत्यक्ष प्रमाण कहते है और इड्िय वया प्रशाश्न आन्की
सहायतास पदार्थोंकों एक्देश जान उस परक्ष प्रमाण कहत है ।
नय--तो पदार्थके णक्देशक्ों विषय कर-साने उसे नय
कहने है। इसक दो मेद है-१ द्रया्थिक, २ प्यायार्थिक | जो
सुस्य रूपसे द्रयका विपय करे उसे द्रव्याथिक ओर जो मुस्य रुपसे
अग्रायकी गिपय कर उसे पर्यायाथिक नय कहत हैक) ६॥ा
। * इन अग्रावर भर्दोरी व्िवत्रे द्वी खुत्रमे द्विदचनके रथानपर
अटुवचनम अयोग किया गया दै। , ,
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