गरुड़ - पुराण भाग - 2 | Garud Puran Bhag - 2

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Garud Puran Bhag - 2  by श्रीराम शर्मा आचार्य - Shri Ram Sharma Acharya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दो शब्द “गरुढ-पुराण को विश्वेपताओों पर इसको भूमिका भोर उपसंहार में प्रावदयक विवेचना को जा चुकी है। एक सामान्य हिन्दु-धर्म अनुपायी की दृष्टि में मरणोत्त र कर्मकाएड का महद्दत्व बहुत प्रधिक दै--इतना प्रधिक है कि उसका झायोजन पूर्ण तियमानुकूल भौर परम्परा के भनुसार करने के लिए बह प्राय. झपने लिए बडी-बडो कठिताइयाँ पंदा कर लेता है। भनेक स्थानों में भौर अनेक जातियो में दाह-सस्कार, तीजा, एक्ाइशा, त्रयोदशा (तेरहदी) प्रादि के माम पर झोर महाग्राह्मण को झयादानादि करने के रूप मे, झोर फिर समस्त जाति-भाहयो को भोज देने की प्रथा का पलन करके इतना व्यवन्भार उठाना पड़ता है कि भनेक गरीबों की उससे कमर ही टूट जातो है भौर उसका कुपरिणाम उनको बरसो तक भोगना पडता है। पाठकों ने ऐसे ऐसे मृतक भोजों का भी वर्णन सुना होगा शिनमें ५-५ हजार तक लोग भोजन करते हैं | प्रगर इससे चौथाई भी भार किसी साधारण झाथिक भवस्था वाले पर पड जाय तो उसको फैपी सांघासिक चोट लगेगी इसे भुक्तमोगी सहज ही मे जान सकते हैं। जन-साधारण की दृष्टि में 'गरड-पुराण” का महत्व इसी प1रण प्रपिक है पर्योकि इसमें भोड्धदेहिक करों का विवेचन किया गया है और छसोग इसमे थद्धापूवंक सुनते प्रौर मानते हैं। इस समय यद्यपि देश-काल के प्रभाव छे लोगों के विचारों में भनेक नवीन परिवततंन हो रहे हैं, तो भी हिन्दू-समान में, विदोष- तया प्रामीण-जनता में ऐसे ष्यक्ति बहुत कम मिलेंगे जो इन प्रथाप्रों का उत्लपत करने का साहध कर सके | इस कारण सब लोग भपनी शक्ति शोर परित्यिति के घनुपार उन कर्ंकाण्डो को पूति करने वा प्रयत्न करहे हैं, जिनका निर्देश गष्टड पुराए' में क्षिया गया है 1 हिन्दू धर्म में पुनर्जन्म के सिद्धान्त का बड़े शटल भोर निश्चयारमका रूप से प्रतिपादन किया गया है प्रौर सच पुद्दधा जाय तो वर्तमान समय में घर्म का जो रूप हमारे देश के विद्वानों भोर उप श्रेणी के उपक्तिषों में भी प्ररलित है उस्तका प्ाघार पूनजेस्म का सिद्धास्त हू) है. | उसी के प्रभाव से हिरदू जतसा में « यह भाव फंसा हुप्ता है शि हम जेंसा भवा-घुरा वास बरेंगे उसदाववंसाद्दी




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