किरणों की खोज में | Kirano Ki Khoja Me
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
441 KB
कुल पष्ठ :
33
श्रेणी :
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No Information available about सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' - Sachchidananda Vatsyayan 'Agyey'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६
गया! यह टुघरना? चाह तातजिक्ा के प्रताप से हुई दो धादे नहों,
इस मे संदेह नहाँ कि घारी मे से जाती हुई सेना पर आत्मा आसपास
वी पहाडियाँ की गुफाआ से प्रत्म सफडता कु साथ किया जा सकता है,
और सम्भयतया शिया गया दागा, तभी तो उक्त की सेना सिहसा?
आगे पीछे से आका त हां कर परास्त हो गयी हागी |
के क् कै के
चोगीगुफा से नद पार कर + एक राष्ता घुसटा हो कर कक्लकततें
छा है, कियु यह अच्छा नहा है आर 'कानयाई! अख्छी सटका पर ही
चलत हैँ जब तक रि लाचारी महों, इस लिए बूचप्रिहार परी सदक
पकड़ी गयी। तीमरे पहर तक 'कानयाइ? उचनिहार की सीमा में प्रगिष्
हो गया था बूचरयतद्दार पहुँचा जा सस्ता था, कितु रात मे बडे शहर
में खझरो की जगह का वध हो सकता है यह सन यायावर जानते हैं|
अत बुछ पहले ही दीनहद्टा क छोटे सफ़री पैंगले के आगे गातियाँ रोक
दो गया। बेंगना ता बाँता का बना हुला यरास! ही था ओर फमरों
मे जगह भी नहां थी, पर अरामदे के कच्चे फ्शं पर बॉस की चराइयाँ
पिठीं था, ओर चार तरफ खुल बगीचा भी था रात बारसे पे लिए,
और क्या चाहिए १ इंधर प्राय दिन ठिप ही द्वार थटता है, दोनहट्ठा का
बाजार अभो उठा नहीं था, फेले, शात तरवारी, अंधे आदि विक रह ये
सबेरे बूचव्रिहार से गुजर। छोटी सो मुन्दर मगरी है। नाम वास्तव
में घोचत्रिद्दार होना चाहिए, क्वाकि कौच जाति का राजधानी है। किसो
समय कोच साप्राग्य हहुत फैल हुआ था और उस की घाक हूर टूर तक
थी। फोर राजप॑श मे कई प्रतापी यज्ञा हुए जन में नस्नारायण ( ई०
सोलइर्वा ता ) सथ प्रसिद्ध है। पर्तारायण तथा उस व भाई एवं प्रधान
सेवायति चुद्ुष्यण्ष ने आताम पर आउत्त्मण कर के चहुत-सा प्रदेश जीत
डिया था। परद्धप्यज के दुसदूर जा बर झात्द्या मारने जे करतरों के बारण
उत्त वा पाम “चौक शय' पत गया था। एक दूमरे साई कमल गाहाइ
( गांसाई ) ने उत्तरी आसाम व आर पार वह सलक बनवायो थो जिस क॑
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