सूत्रधार | Sootradhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सआाशा० सुयन आशज्ञा० तत० जआजशा० चत्त० आश्ञा० वह वो ठीक है पर एक दात मैं भी जोड़ूँ | हम पति पत्नी से ४3०९४ है.।. [ और पल्ली को आपस में भी बहुत सारे एडजस्टरैण्ट्स-का हैं। तब परिवार चलता है । क्षमा कीयिए, छोटे मुँह बड़ी बात है । आप जऔर मा जी आपत्त में कितनी डुए नहीं झगड़े होंगे, पर आज भी आप दोनों के सम्बन्ध कितने मजदूत हैं, क्योंकि आप दोनों का श्नगड़ा अपने अपने लिए नर्ती, दूमरे के भले की चिन्ता के कारण होता है| इसी तरह आपको अपने बेये के साथ निभाना पड़ेगा और बेटों को आपके साथ। मैं तो निमाने को तैयार हूँ, पर बेटे दो नहीं हैं । देटें को क्यों बदनाम करते हो जी ! लो, अभी तक हो अपने बेटों की मुगई कर रही थी अब बेटीं की तरफ़ से गोलने तगी। मोँजो हैं। (पड़ी देखकर) तुम्हारी दवाई का यइम हो गया। शा लूँगी। जा छूँगी नहीं, खा लो। (उठदी हुई] ओह 1 उठ ही नहीं जावा । बड़ा दरद है! (झुक कमर पर हाथ रखकर अदर चली जादी हैं) (िलविन्दर ग्रे जाती हुई देखकर) ऐसी हालत में तुम्हाए लुपियाना जाना मुश्किल है। (अन्दर से) अगर नहीं जाएँगे, जे वे लोग सोर्चेशे कि हमें उनकी परवाह महीं है न आने का बहाना बना तिया है। उन्हें सोचने दो । उन्होंने फौन सी तुम्हारी परवाह की है, जो हम करें। (शर्मा से) तुप्शरी बात सोलझें आने सव हैं, पर तुम देख ही रहे हो कि (पत्र दिखाकर) इस चिट्ठी में प्रीवम ने अपने घर के सब छल लिख दिये हैं , पर हमारे दारे में कुछ भी नहीं पूछा है । हम दोएों के लिए बस 'पैरीपैणा' लिखा है।




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