अन्धविश्वाश विरोध के एकांकी | Andhavishwas Virodh Ke Ekanki

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Andhavishwas Virodh Ke Ekanki by गिरिराज शरण - Giriraj Sharan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चघदीवाला चमत्कार | £ (टिकिया वाँटने लगता है। धीरे-धीरे सबके सब हाथ उठा देते हैं।] (स्ककर) आप सब लोगो ने हाथ उठा दिये (छोटे-छोटे दो लडको की ओर देखवर) यह कोई मिठाई की टिक्या नही, जहर की टिकिया है) ललोग हँसते है--लडके लज्नित होकर हाथ नीचे कर लेते है।] मेहरबान | इस तरह काम नही चलेगा । उन लोगों को, जिन्हे दवा की जरूरत है, दूसरे लोगो से अलग करने का एक गुर श्री गुरु महाराज हमे बता गये हैं। (घटी बजाते हुए) देखिए मेहरवान ! इस टिकिया की कीमत चार आने है, इन्सानवी जान का मोल लाखो रपये से भी अधिक है, लेविन उस जान की बचानेवालोी इस टिकिया के दाम सिर्फ घार आने हूँ। गुरु जी ने कहा था, “बेटा, जिन्दगी देना पर दाभ न लेना 17 दोस्तो | ये चार आने दाम नही, यह्‌ सिर्फ लामत है ।' इस टिकिया की वीमत सिर्फ़ चार आने है, अब जिन सज्जमों को जरूरत हो हाथ उठायें । कुछ लोग हाथ गिरा देते हैं, बुछ इस असमजस मे हैं कि हाथ उठाये रखें या न रखें। उन्ही को सबोधित करके ।] * चारआने। इस टिक्यावे दास सिर्फ चार आने हैं। जिन्हें जछूरत हो वही हाथ उठायें। विवल पांच-छह व्यवित ह।थ उठाये रखते हैं, गेप गिरा देते हैं ।| ४ लाइए जनाव, चार-चार आने ! (पैसे इबटूठे दरते हुए) लेविन हाथ उठाये रखियेगा मेहरबान | [सव पँसे इकट्ठे बर लेता है और वडी उदारता से मुस्कराता है।] :£ [हाथ के पैसोी को देयते हुए) देखिये, जिन मेहरवानों वो जरूरत थी, उन्होंने दाम देवर भी दवा सरीद ली। दोस्तो | आपवो




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