पालिपाठावली भाग - 1 | Palipathavali Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
117
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बावेरु-जातक १९
नो पि बोधिसत्तत्स ओबादे उत्वा दानादीनि पुम्जानि कत्वा
देवनयरे पूरेप्ति
१२, वावेरुजजातक 15
जाम <€ू--
अतीते बाराणसिय न्मदत्ते रज्ते कोरेन्ते बोषिस्ततों मोरयोनियं
निव्बत्तित्वा बुद्धि अन्वाय स्ोमश्प्पत्तो अरब्भे विचरि। तदा
एकच वाणिना दिसाकाकं गहेत्वा नावाय बावेहरई अगमंसु
तरिंम किर काले बावेरुट्टे सकुणा नाम नत्यि । भागतागता
5 रहवापिनों ते कूपगे निप्तिज्ञ दिखा “पर्सश्थिमत्स छविवण्णे, गल-
परियोसान मुखतुण्डंक॑ मणिगुलसदिस्तानि अक्खीनी'ति काक्मेव
पप्नप्तित्वा ते वाणिनके आहंसु 'इम अय्यो स्कु्ण अम्हाक देप ।
अम्हाक॑ हि इमिना अत्यो, तुम्हे अतनो रद्टे असम झमिस्सपा!
ति। ८ तेन हि मूलेन गण्हया ” ति। “ कहापणेन नोदेथा ? ति।
10 #देमा ? ति । अनुपुन्भेन वड्लेल्वा '्सतेन देषा ! ति बुत्ते
£ अम्हा्क एस बहूपकारो, उुम्हेहि पन सद्धि मेत्ती होतू ” ति
कहापणप्ततं गहेत्वा पा । ते ते गहेत्वा सुवण्णपक्षरे पक्सिपित्वा
नानप्पकारेन मच्छमंसेन चेव फठाफलेन च पट्निग्गपु । अम्जेस्
सकुणानं अविज्ममानइने दूसहि अस्द्धम्मेहि; प्रमन्नागतो काको
15 छामग्ययप्तग्गप्पत्तो अहोसि । पुनवारे ते वाणिना एक मयूररानान
गहेत्वा यया अच्छरासद्वेन वस्सति पाणिप्पहारसदेन नचति एवं
प्रिक्सापेत्वा, बावेरुरईं अगमंसु । सो महानंने स्न्निपत्िते नावाय
घुरे ठत्वा पकखे विधूनित्वा मघुरस्सरं निच्छारेत्वा नथि। मनुस्सा
ते दिप्ता सोमनत्स-नाता 'एतं अय्या सोमग्गप्पत्त सुप्तिक्सित-
40 स्कुणरानान जम्हाक॑ देवा ” ति आहंसु । “अम्हेहि पठम॑ काको
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