महामांगलिक पितृस्वरूप संस्मरण स्तुत्यात्मक तथा स्वरूपवर्णनात्मक | Mahamangalik Pitriswarup Sansmaran Stutyatmak Tatha Swarupvarnanatmak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
578
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोतीलाल शर्मा भारद्वाज - Motilal Sharma Bhardwaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(&)
१+२.
मिगमानुगता महामभलप्रदा पितस्तुतिः स्वरूपवर्णनात्मिका
(१)--उदीरतामवर उत्परास उन्मध्यमाः पिवरः सोम्यासः ।
अस॒' य ईयुरइका ऋततज्ञास्ते नोड्वन्तु पितरों दवेष ॥
(२--5दं पितृम्पों नमो अस्त्वच्च ये पूवीसो य उपरास ईयू। ।
ये पार्थिवे रजस्पो निषत्ता ये वा नूने सुबृजना सु जिस्ञ ॥
(३)--आहं पितृन्त्सब्रिदत्रों अवित्ति नपातं च प्रिक्रम्ण च पिष्णो: ।
बरहिपदी ये स्वधया सुतस्थ भजन्त पिलस्त इहागमिष्टाः ॥
(४)--पहिपद पितर ऊत्यवांगिमा वो हव्या चकुमा जुपध्यम ।
दे आ गतारसा शुल्तमेनाथा नः शंयोररपरों दधात ।॥
(४)--उपहूताः पितरः सोम्यासों बहिप्येपु निधिपु प्रियेपु ।
ते आय गमन्तु ते डह श्रृवन््त्यधि बवन््तु तेज्यन्वस्मान ॥
(६) --आच्या ज्ञानु दक्षिणतों निपद्ये म॑ यत्रमासि ग्रणीत विश्ये ।
मा हिसिए पितरः फेस चिन्रो यद्ठ आग; पृरुपता क्रम ॥
(७)-- आसीनासो अरुणीनामपस्थे रयि धच दाशुपे मंत्योय ।
पुश्रभ्यः पितररतस्प वस्त्र 9 यच्छत ते इहोजे दघात ॥
(५)--ये नः पूर्वें पितरः सीम्यासो5नृहिरे सोमपीथं बसिष्टाः ।
तेमियमः संरराणों हवीप्युशन्लुशदूमिः श्रतिकाममचु ॥
(६)--से ताहपुर्देवश्ा जेहमाना होत्राविदः स्तोमतशसों अके! ।
आग्ने याद्वि सुदिदत्रे मिरवाद सत्पे/ कब्ये: पित्मिषेमसद्मिः |
(१०)-से सत्यासों हविरदों दृरिष्पा इन्द्रेण देखें: सरभ॑ दधानाः |
आगने यादि सद्ख देवपन्दँ: परेः पूँव: पितृभि्रमेसद्भि: ॥
(१ १)-अग्निष्याचा: पितर एट्र गच्छत सदः्सदः संदत सुप्रणीतयः |
अत्ता हवीपि प्रयतानि वहिष्यथा रथि सर्वबीरं दधघातन ॥
(5
User Reviews
No Reviews | Add Yours...