अच्युत | Achyut
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
634
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चण्डीप्रसाद शुक्ल - Chandiprasad Shukla
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १ |
विषय प्र... पंक्ति
परमाणुजगद़कारणल्लाधिकरण [8 १७०-१२०८]
तृतीय अधिकरणका सार ,,, रे हर ११७० - ६
११वां सूत्--उभयथापि न कर्मातस्तदभावः बजे ११७० - १२
परमाणुकारणवादका उत्थापन सन ०. ११७६१ - २
परमाणुओंके, आधकर्मके निमित्तकों न माननेपर कर्म नहीं होगा, और
माननेपर भी उस समयमे दृष्ट प्रयत्ष आदिके अमभावसे कर्म
नहीं होगा इस प्रकार परमाणुकारणवादका मनिरसन ११७४ - ७
आत्मा समवायसम्बन्धसे रहने अथवा अणुओंमें समयवायसंवन्धसे
रहनेसे अहृष्ट आद्य कमका निमित्त नहीं है... ११७५ - ८
संयोगके स्वरूपका खण्डन बढ; ०. ११७७० ५
महाप्रतवमें भी विभागकी उत्पत्तिके छिए. परमाणुओंके कर्मका
असम्भवनग्रदर्शन रन ०. ११७८ - ७
१३वो सूत्र--समवायास्युपगमाश्च साम्यादनवास्थितेः ह.. - िंद्क «६
भिन्न समवायको माननेपर उसके अन्य समवायकी कल्पना करनेगे अनवत्या
दिखछाकर समवाय निराकणपूर्वक परमाणुकारणवादका
निराकरण ,,, बंध गे ११८० - १५
“यहॉपर' इस ग्तीतिसे ग्राह् समवाय समवायीसे निद्यसम्बद्ध ही ऐ अतः
अनवस्था नही है इस संभावनाका निराकरण
१४वों यूत्र--बनिद्यमेष च भावात् बह व , हो
परमाणुओोके प्रदत्तिसभावत्व आदिसे चार प्रकारते विकृत्प करके
अन्य दोपका प्रदर्शन कक
१५वों चूत्--रूपादिमस््वान्न विपर्वयों दर्शनात्
परमाणुओके रुप्रादियुक्त होनेसे उन थूंठता और आनित्यताकी घर
प्रास्ति होगी ,,, ख
११८१-६
८३ --
११८३ - १०
११८४ - १२
शनि बज ही ११८५ - ४
गोद के करनेके लिए केगादसूचित प्रथम हेतुका खण्डन ११८६ - ७
जो शेकम ला हे «३५ *०» ११८६ - ६
१६वों सूत्र--उभयथा चे दोपात् हि पा
परमाणु अधिक गुणवाले और न्यूनगुणवाले भा जाते हैं अथवा नहीं शक
व प्रकार विकृत्पकर अन्य दोषका प्रदर्शन हे
श्ध्वों पज़रे--अपरिमहाब्रात्यन्तमनोक्षा की
११२ ११९३ - ३५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...