अच्युत | Achyut

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १ | विषय प्र... पंक्ति परमाणुजगद़कारणल्लाधिकरण [8 १७०-१२०८] तृतीय अधिकरणका सार ,,, रे हर ११७० - ६ ११वां सूत्--उभयथापि न कर्मातस्तदभावः बजे ११७० - १२ परमाणुकारणवादका उत्थापन सन ०. ११७६१ - २ परमाणुओंके, आधकर्मके निमित्तकों न माननेपर कर्म नहीं होगा, और माननेपर भी उस समयमे दृष्ट प्रयत्ष आदिके अमभावसे कर्म नहीं होगा इस प्रकार परमाणुकारणवादका मनिरसन ११७४ - ७ आत्मा समवायसम्बन्धसे रहने अथवा अणुओंमें समयवायसंवन्धसे रहनेसे अहृष्ट आद्य कमका निमित्त नहीं है... ११७५ - ८ संयोगके स्वरूपका खण्डन बढ; ०. ११७७० ५ महाप्रतवमें भी विभागकी उत्पत्तिके छिए. परमाणुओंके कर्मका असम्भवनग्रदर्शन रन ०. ११७८ - ७ १३वो सूत्र--समवायास्युपगमाश्च साम्यादनवास्थितेः ह.. - िंद्क «६ भिन्न समवायको माननेपर उसके अन्य समवायकी कल्पना करनेगे अनवत्या दिखछाकर समवाय निराकणपूर्वक परमाणुकारणवादका निराकरण ,,, बंध गे ११८० - १५ “यहॉपर' इस ग्तीतिसे ग्राह् समवाय समवायीसे निद्यसम्बद्ध ही ऐ अतः अनवस्था नही है इस संभावनाका निराकरण १४वों यूत्र--बनिद्यमेष च भावात्‌ बह व , हो परमाणुओोके प्रदत्तिसभावत्व आदिसे चार प्रकारते विकृत्प करके अन्य दोपका प्रदर्शन कक १५वों चूत्--रूपादिमस्‍्वान्न विपर्वयों दर्शनात्‌ परमाणुओके रुप्रादियुक्त होनेसे उन थूंठता और आनित्यताकी घर प्रास्ति होगी ,,, ख ११८१-६ ८३ -- ११८३ - १० ११८४ - १२ शनि बज ही ११८५ - ४ गोद के करनेके लिए केगादसूचित प्रथम हेतुका खण्डन ११८६ - ७ जो शेकम ला हे «३५ *०» ११८६ - ६ १६वों सूत्र--उभयथा चे दोपात्‌ हि पा परमाणु अधिक गुणवाले और न्यूनगुणवाले भा जाते हैं अथवा नहीं शक व प्रकार विकृत्पकर अन्य दोषका प्रदर्शन हे श्ध्वों पज़रे--अपरिमहाब्रात्यन्तमनोक्षा की ११२ ११९३ - ३५




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