संस्मरणों के बीच निराला | Sansmaranon Ke Bich Nirala

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Book Image : संस्मरणों के बीच निराला  - Sansmaranon Ke Bich Nirala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सम्मरणा के बाच निराजा ) 9३ अचानक एक लिन निराचा स अपन जाविका नने बाज स्वामा मे ठुट विवान हा गया और फिर स्वानिमाना निराता ने नौफ़रा याग हा । वे रियासत का नावरा छारकर अपन गाव चज गये । बरल्नु घट आघात निराता बा माहिय सवा स विसुख लत कर खबर १ दिनरा हा आविक समस्या उनके समथ क्या ये रह वे परास्त टाव नहा टखे गय। जहा हिना निरातों जी आचाय मटावार प्रसाट द्विवश से मितन के विय वभानभा वानपुर जाया करत 4॥ टिवट जा रन टिया सरस्वता से अवयाश प्राप्त कर बा निवास वरत थ। निशयों पा जावित त्पिमता पर बितित “ोत्रर द्विंवता जा ने कद स्थाना पर उनका नौकरा व विय जिखा-यटो का परतु विराता ता जाहम्भ से व निगना थ। वे बज जान वा तयार ने हुय बौर जात मे पुन स्यासत वे अनुराय पर बला सौव रा स्वावार कर जा । द्विवटा जा वे बह्त जनुराप पर हा “हाल हुवा मडिपाटल मे जाना स्वाकार किया था| बह पर निराजा जा न रामक्रण्ण परमल्स सथा स्वासा विवेबानाठ साहित्य का गम्मोर अध्ययन जिया । समवध मे तिरवर उनका रखनायें प्रकाशित हवा रहा 4. उाशन शा वर्षों तर पमवय वा सम्पाटन बाय भा विया । निराला माहित्य के विभिन्न स्वरूप कवि निराला निराता व उाज्य मे पिद्वाहे वा खबर प्रतित्रियाय मिलता है बे प्रान्म्म स पान्तिारा भाववाणा के वापत्र थ | उनया सम विचारधारा का उपक साटिय सजन पर अत्यत स्पर्णाय प्रभाव पा फतत उनके वाच्य मे साहिय का तकालान




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