मास्टर खेलाडीलाल एंड सन्स | Master Kheladilal And Sons
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
282 MB
कुल पष्ठ :
833
श्रेणी :
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No Information available about प्रेमवल्लभ त्रिपाठी - Premvallabh Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)#ऋब५, कल,
.... यद्यपि मेरे सहश अल्पज्ञ और अपुण्यकर्म्मा के लिए ऐसे पवित्र कीर्ति-
1. शाली रुत्कबि के स्तवनीय अज्ञरों पर लेखनो उठाने का साहस करना ही
का उपहासालद और असम्नव था, तथापव जिव परमादार अन्तःकरणु«
बाले, कारशणिक-शिरोमणि ने मुझ पंणगु पर निष्कारण ही करुणाद्र है छात्रा-
बस्था में ही मुझे इस अछ्ू त और सुदुलभ प्रन्थरत्न का जीणेद्धार रूप
सेवा के लिए प्ररित कर ऐसे अवोग्य प्राइृत शिशु पर भी वाहत्सल्य प्रकट
किया, उस कॉपीनमात्र परिकरवाले अचिन्त्यानन्तकरुणाशक्तिशाली 'दिगम्बर'
का में जन्म-अन्मान्तर से ही ऋचणोी हूँ ।
; साथ ही साथ जिन उदारचेता मंहानुभावों की सद्भावना से
एु इस पुनोः् में उत्करिठत, प्रदत्त एवं सफल 2 मई व
उन. सत्कीसिशाली दे। सहृदय और मान्यवरों के श्रद्धाललि समर्पण किये
से नहीं रहा जाता |
द्विवेदी, जिनके सरस्वती! पत्र में प्रकाशित अतीव हृदयाकषक उद्दाम
लेखों ने ही मुझे सवप्रथम इस ग्रन्थरतन के समास्वादन के लिए
. तथा बिना परिचय के जिन्होंने ऐसे अयोग्य शिशु की त्रटिपूर्ण, प्राथमिकी
पुस्तक धंदान कर आथ्िक सहायता में म पं
नहीं होने दिया ; अथवा यों कहना चाहिए
_सम्पत्ति-विहीन शिशु से इसका निर्विन्न सम
अवलम्बन के समाश्रयण का फ
सनामधन्य, प्रात:स्मरणीय, आचाय पं० महावीरप्रसादजी
+ ज्ञालायित कर इन अक्षर-रत्नों पर लेखनी उठाने के लिए उत्कश्ठित किया; |
- कृति के हृदय से अपनाकर इसके प्रकाशन में सहायता का उद्योग करने में के ० है
- कष्ट उठाया। और द्वितीय महानुभाव हैं ज्भातरज्ञ*-निवासी पूज्ययाद
यूं गड़ाशड्र जी मिश्र एम० ए० (1॥9बवंका ० फिस्पश्ा88 ते ०३ मु हे रा
पमारएआंए) महोदय, जिन्होंने इस काय के लिए आंरम्म से ही अपनी:
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