भातखण्डे संगीत शास्त्र भाग - 4 | Bhatakhande Sangeet Shastra Bhag - 4

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Bhatakhande Sangeet Shastra Bhag - 4 by विष्णुनारायण - Vishnunarayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२१ कओी कफ ------. भातखण्डे संगीत शास्त्र ( हिन्दुस्थानी संगीत पद्धति ) भाग चोथा 3>-3तानअंहकय ९7 ककक पक7-नक+, श्रिय मित्रो ! पूर्वी व मास्वा इन दो जनक थाटों से उपन्‍न द्वोने वाले रागों पर छत पहिले प्रसंगों में सविस्तार विचार कर चुके हैं, अब शेष चार थाटों ( काफी, आसावरी, भैरवी, तोड़ी ) के प्रसिद्ध रागों पर विचार करेंगे। इन चार थाट्ों के प्रसिद्ध रागों का - परिचय हो जाने पर तुम्हें दिन्दुस्थानी-संगीत-पद्धति का पर्याप्त ज्ञान हो जायगा। किन्तु इसका अर्थ यह नहीं दे कि अब कुछ सीखने के लिये बाकी नहीं रद्दा, संगीत तो समुद्र के समान अथाह है इसमें सर्वांगीण निपुणता प्राप्त करना सरल कार्य नहीं है। मेरे कहने का सारांश इतना ही है कि जो जानकारी मैं दे रहा हूँ, इससे तुम्दारा मार्ग दर्शन होकर भविष्य में ज्ञान-संपादन में सहायता प्राप्त होगी। “संगीत” शब्द में तीन कल्लाओं का समावेश होता है, लेकिन हम केवल गायन कला पर ही विचार फर रहे हैँ, वद भरे एक सीमित क्षेत्र तक । किसी भी विषय का अध्ययन करने के लिये उसके मूल तत्व या मूल सिद्धांतों की ओर विशेष ध्यान देना पड़ता है। यह विधान संगीत कला के लिये भी लागू है। इन मूल तत्वों की ओर विशेष ध्यान देने के लिये मैं बारम्बार संकेत करता रहा हूँ, तुमने भी इस ओर ध्यान दिया ह्ोगा। पहिले हमने मैरव, पूर्वी व सारबा इन संधिप्रकाश थाटों के रागों पर विचार किया था, इनमें फोमल ऋषभ तथा तीघ्र गांधार, निषाद उन रागों के मुख्य चिन्ह हैं, इतना द्वी नहीं अपितु हमारी हिन्दुस्थानी संगीत पद्धति के सब रागों का मुख्यतः तीन वर्गों में समावेश किया जा सकता है, यह तुम्हें बढाया ही जा चुका है । प्रश्क--हां, यह बात हमारे ध्यान में है। आपने कहा था कि हिन्दुस्थानी संगीत पद्धति के सब रागों का स्थूल दृष्टि से तीन समुदाय या वर्ग में विभाजन है, उन रागों में प्रयुक्त होने वाले स्व॒रों के आधार पर इनका वर्गीकरण किया जा सकता दै। प्रथम वर्ग में रिपभ, पैवत, गंधार, तीत्र या शुद्ध होते हैं। दूसरे वर्ग में संचिप्रकाश समय में गाने योग्य सब राग आते हैं अर्थात्‌ उसमें रिषम कोमल व गांधार, निषाद तीज्र होंगे। तीसरे वर्ग में गांधार व निषाद कोमल वाले राग हैं। तोड़ी में गांधार कोमल होने से वह थाट तीसरे समुदाय में ही रखना चाहिये, ऐसा आपने कह्दा था * उत्तर--हां, एक महत्वपूर्ण बात और भी कही थो कि इस वर्गीकरण का सम्बन्ध रागों के समय से भी है ।




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