ओटक्कुषल् | Otakkushal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
390
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घॉसुरी
सीसा भाव से जीवित गीतों का यानेवाले
लिया और काल की सीमाआ से निव व हैं महामहिमासय
में जनमा था अवात-अपरिचित
कही मिट्टी में पडे-पड़े नष्ट हो जाने के लिए
किल्तु तेरी वे मवशालिती दया ने
मूझे बना दिया है बायुरी
चराचर का आनन्दित करने वाली ।
तूने अपनी सास की फूक से
उत्पन बार दी है ध्राणा वी सिंदरन
इस नि.मार सोखली नती में
भन का सगन कर देनेवाले
अखिल विश्व वे' मनाते गायवा |
तू ही ता है जा मेरे अन्दर गीत बनकर वसा है
अन्यया क्या विश्तात थी इस वुच्छ जड वस्थु की
किचित् मां कर सकती राग-्मालाए
इस अद्ार हर्पोत्तास से मरवर 1
मन्द-हास का मतोरम नवल घबल पन
प्रेम प्रवाट वी क्लकत मदर घ्वनि
मानव बहार की उद्यम लहरा का उछात,
अय्ुसितत नेत्रा व नोले कमल,
दाय-दारिदय के दर्षावालीन मेंघा वी काली छामा,
सासारिक पाए दे मेंबर-जाप
“न सब का साय लिये लिय वहती रहें
मेरे अ>र की सपीत-वल्लालिती बह सरिता
है प्रमु।
ओटबककुबदर
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