ब्रह्मवैवर्त्तपुराणम् भाग - 2 | Brahmavaivarttapuranam Bhag - 2

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Brahmavaivarttapuranam Bhag - 2 by श्री महर्षि वेदव्यास - shree Maharshi Vedvyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ १३१ ) से प्रणाम किया तथा बुराख्क्षेम पूछ फटा कि कया तुम्र साक्षतत्‌ ईश्वरी प्गदी दो ९ तुम्हारा स्थान की दे क्या नाम दे; यहां पर कया काम दै ? फड़ो। ऐपियों के बदनों को सुन पूतना ने कद्दा में मधुरा की रइनेदाली विप्रपत्री हूँ। उन्दकुमार को देखने तथा आशीर्वाद देने आई हूं। इस प्रकार उसके बचन पुन यशोदा का अपने पुत्र को उसकी गोद में देना। शिश्वु को गोद में ढेकर पूतना का धारम्वार चुम्बन करना तथा भगवान्‌ हरि को स्तन पान कराना और यशोदा से फह्दना कि हे गोपमुन्दरि यद्द सुम्द्वारा चालक अद्भुव है तथा गुणों में नारायण के समान दै। भगवान्‌ श्रीकृष्ण का विपयुक्त दुग्ध फा मृत फी तरह प्राणों फे साथ पान करना एड पूतना का प्राण छोड़कर पृथ्दी पर गिरना तथा उसका स्थूल देह दो छोड़कर सृह््म देंद में प्रवेश कर दिव्य रक्तसार से निमित रथ पर आख्ढ़ हो पार्षद प्रवरों से वेष्टित दिव्य रूप घारण कर गोछोक में जाना! पूतना सोक्ष फो देख नारदजी का नारायण से प्रश्न कि बह पुण्यवत्ती सती शाक्षसी रूप को क्यों भाप्त हुई दथा क्रिस पुण्य से भगवान्‌ के दर्शन कर भीकृष्ण मन्दिर को गई १ तब भगवान्‌ ने नारद से कट्दा कि वलि के यज्ञ में भगवान्‌ चामन के छुन्द्र रूप को देख चलिकन्या रम्नमाठा ने उसपर पुत्र॒स्नेह किया तथा भन सें कह्दा कि इसके सहश मेरे पुत्र द्ो और में उसे स्तन देकर अपने वक्षशस्थछ पर एवखूँ | हरि भगवाल्‌ ले उसके सनकी थात जान कर इस जन्म में उसके स्तन पान फर माद्यति प्रदान की। श्र श्रीकृष्णबयाललीलानिरुपणग््‌ ३६० रुणावर्तमोक्षवर्णनम्‌ क्र हि एक चार नत्दगेहिनी यशोदा गृहकर्म में आसच्मतलकू रु हुए थी। स्वोस्तरयामी प्रभुका आल्यरू्प ता ' क्ैप्फ हुक ये कर जानकर भारयुक्त होना । भारफ़ान्त भू ्फ्क बड़ते शायन कराना तदनन्तर असुर क*




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