धर्म शर्माभ्युदय | Dharm Sharmabhyudaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्स्स्य्स्स्स्स्य््प्स्य्प्य्स्य्स्व्य्य्स्प्य्य्य्व्य्स्व्य््य्स्य्य्व्व्स्व्य्स्ल््स्ल्ल्ल्ट््ल्ल््ल्ल्ल्ल्ट्ल्ज्जजििि................ह.ह. स्व० पृण्यश्लोका माता मूर्तिदेवीकी पवित्र स्पृतिमें तत्मुपुत्र साहू शान्तिग्रसादजी द्वारा संस्थापित भारतीय ज्ञानपीठ मृर्तिंदेवी ग्रन्थमाल्ा इस ग्रन्थमाछाके अन्तगत प्राकृत, संस्क्ृव, अपअंश, हिन्दी, कन्नड, तमरिर आदि प्राचीन सापाओंमें उपलब्ध आगमिक, दाशनिक, पौराणिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक आदि विविध-विषयक जैन-साहित्यका अनुसन्धानपूर्ण सम्पादत तथा उसका सूछ और यथासस्मव अनुवाद भादिके साथ प्रकाशन हो रहा है। जेन मण्डारोंकी सूचियाँ, शिलालेख-संग्रह, विशिष्ट विद्वानोंके अध्ययन- अन्य और कोकहितकारी जेन-साहित्य अन्ध सो इसी अन्थमाछामें प्रकाशित हो रहे हैं । ग्रन्थमाा सम्पादक . डॉ. हीरालाल जैन, एस. ए., डी, लिटू, डॉ, आ, ने, उपाध्ये, एम. ए., डी. लि. ७ प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ प्रधान कार्याछ्य : ३६२०1२१, नेताजी सुभाष सार्ग, दिल्ली-६ प्रकाशन कार्याक्षय : दुर्गाकुण्ड सा, वाराणसी-५ मुद्रेक . सन्मति मुद्रणालय, दूर्गाकुण्ड मार्ग, वाराणसी-५ है स्थापना ; फाह्युत कृष्ण ९, वीर मि० २४७७० ७ विक्रम सं० २००० ७ १८ फरवरी १९४४ सर्वाधिकार सुरक्षित




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