वादमाला | Vadamala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सलचज
स्त श्री यश्योविजयजी महाराज के उद्गार ; -+>
स्वागमेजन्यागमार्थाना शतस्येव पराथ्यके ।
नावताखुधत्व चेतू ? न तदा ज्ञानगर्भता ॥ अध्यात्मसार (६/३६)
परार्ध (उत्कृष्ट सख्या) में १०० सख्या के समावेश की भाँति जैनागम में अन्य दर्शन के
शास्रार्थो के उचित समावेश की कुद्मलता नही है, तब ज्ञानगर्मित वैराग्य नाममुकिन है ॥
ग्रन्थदरीर परिचय
प्रकाशकीय हर्पोद्मार
ग्रन्थप्रवेश के पूर्व किखित् 4
विषय मार्गदरिका
प्रस्तुत प्रकरण
० टीकाकारीय प्रदास्ति १९९
परिशिष्ट १/२/३
प्रथम आवृति
विस. २०४९
_नोध : अभ्यासु जैनसाधु-साध्वीजी महाराज को भेट मिल सकेगी ।]
सर्वाधिकार श्रमणप्रधान श्री जैनसघ को स्वायत्त
प्रकाशक प्राप्तिस्थान
दिव्यर्द्धान टुस्ट १ प्रकाशक
३६, कलिकुड सोसायटी २ भरतभाई चतुरदास श्ञाह,
धोलका कालुशी पोल,
21 + 387 810 कालुपुर,
अमदाबाद - ३८० ००१
- लेसर टाईपसेटीग :-
पार्य क्रोग्पयुर्र्स;
२३, जनपथ सोसायटी; केनाल के प्रास, इसनपुर रोड; घोडासर, अमरदाब्राद - ५०
दूृर्भाप ४ ३९६२४६
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