ब्रह्मसूत्र भाष्यम भाग 1 | Brahmasutra Bhashya Bhag 1

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Brahmasutra Bhashya Bhag 1  by श्री शंकराचार्य - Shri Shankaracharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[८ महच्च प्रामाण्यकारणसेतत्‌ यद्वेदान्तानां चेंतन- कारणत्वे समानगतित्वमिति सवेज्ञस्येव जग- ई. त्कारणत्वसमथनमू ८... ४८ स कारणम. इत्यादिश्रुतो स्वशब्देनैव श्रुतत्वा्य ब्रह्लैव कारणमिति निगमनमू्‌ ० कट सोपाधिकत्वनिरुपाधिकत्वाभ्यां द्विरुपतया अवग- म्यमानस्प ब्रह्मण उपास्यतया जेयतया च बवेदा- न्तेषूपदेश इति प्रद्शनाथलया उत्तरग्रन्थस्यो- त्थानसमर्थनम्‌ .... . ४९ ६. आनन्दमयाधिकरणमू ५१-६३ वृत्तिकारमतेन अधघिकरणारचन मू ५१-५८ आनन्दमयो त्रह्म वा अमुख्य आत्मा वेति संशये अमुख्य आत्मा आनन्दमयः तत्प्रवादपति- तत्वात्‌ प्रियाद्यवययवयोंगात्‌ शारीरत्वश्रवणा- श्वेति पूर्वपक्ष डे न् . शप परस्मिन्‌ आनन्ददब्दाम्यासेन सिद्धान्त .... ५२ अमुख्यप्रवाहपतितत्वप्रियसंस्पशशारीरत्वश्रवणरू- पाणां पूवपक्षबीजानां निरसनमू ..... ५३ मयटों विकारा्थत्वमवछम्ब्याक्षेपस्य प्राचुर्यार्थक- त्वप्रदशनेन निरासः . .... ३ आनन्द्हेतुस्वव्यपदेशात्च प्राचुयसमर्थनम .... ५४




User Reviews

  • Manish

    at 2019-08-09 10:14:51
    Rated : 8 out of 10 stars.
    भगवान भाष्यकार श्री भगवत्पाद महाभाग शंकराचार्य जी का यह अद्भुत कार्य है. उनका प्रखर विवेक इस प्रकार की पुस्तक को लिख सकता था . यह पुस्तक ब्रह्मांड के मेटाफिजिक्स को और साथ साथ हमारे मनोविज्ञान, परामनोविज्ञान को स्पस्ट करती है. आशा है उस दिन की जब कोई इक्कीसवी सदी का व्यक्ति उस आत्मतत्व सा साक्षात्कार करेगा और पुनः फेसबुक की भाषा में कहेगा - अस्मद युस्मद प्रत्त्यय गोचरयो विषय विषयींनो तम प्रकाश वत विरुद्ध स्वभावयो ऊं
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