महाभारत (भाग ३) | Mahabharat (vol - Iii)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
396
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ए
७३० महाभारत [ ढोश पव
लगे । दुर्योधन ने उनसे पूछा कि किसे सेनापति बनाना
उचित तथा हितकर होगा | कर्ण ने कहा कि कोरव सेना
में सेनापति के पद के लिए उपयुक्त अनेकानेक योद्धा
मौजूद हैं। किन्तु ऐसा न हो कि एक के सेनापति बनाये
जाने पर दूसरे टाह के मारे उसके अधीन रहकर टीक से
युद्ध न करें। अन्त में कर्ण की सलाह से दुर्योधिन ने शुरु
द्रोशाचार्य को विधिवत सेमापति बनाया। सभी इससे
प्रसन्न हुए । द्रोण ने सेनापति बनकर युद्ध के लिए सेना
का व्यूह बनाया | उधर से भी व्यूह बनाया गया । यथा
समय दोनों सेनाएँ आमने-सामने आ युद्ध करने लगीं |
अनिल न लतिन लिन
अध्याय ८-१६
श्री ऋृष्ण का गुण-गान, युधिप्ठिर को पकड़ने की प्रतिज्ञा
सज्जय बोले--सेनापति पद पर अप्रिपिक्त होकर
महावली द्रोण ने कोरव सेना की रक्षा करते हुए भीपण
संग्राम किया ओर पाएड्व दल के अनेकानेक वीरों को तथा
एक अक्षोहिणी सेना को मार कर अन्त में वे मारे गये ।
द्रोण का निधन सुनकर धतराष्ट्र बहुत व्याकुल और
चिन्तित हुए । वे अनेक प्रकार से विलाप करते हुए बार-
बार मूठित हो भूमि पर गिरने लगे। अन्त में उन्होंने
User Reviews
No Reviews | Add Yours...