तीसरी आंख | Tisari Aankh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Tisari Aankh by हरीश गोयल - Harish Goyal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरीश गोयल - Harish Goyal

Add Infomation AboutHarish Goyal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
डॉ प्रसाद बडे ध्यान से सुनते व देखते रहे । उनके बीच काफी देर तक चर्चा होती रही । अत मे गेलो ने प्रसाद से कहा-- 'डॉ प्रसाद, किसी तरह से तरण को बचाना होगा । क्‍या कुछ दिन भ्ौर उसे जीवित नही रख जा सकता ? आप उनकी क्रीम प्रतिरोधी क्षमता को बनाये रखिये। आझ्ाशा है हम जल्दी कामयाब हो जायेंगे ।! 'विज्ञानी गेलो, मेरा यह भरसक प्रयत्न रहेगा कि किसी तरह तरुण जीवित रहें । उसका जीवित रहना श्रत्यन्त श्रावश्यक है नही तो उसकी कैंसर रिसच अधूरी ही रह जायेगी । कसर से पीडित न जाने कितने लोगो की आस तरुण के अनुसधान पर टिकी हुई है । हमे उसे हर हाल में बचाना होगा ।' प्रसाद होलोग्राम पर 'एड्स' विषपाणुश्रो के ई एन थी प्रोटीन कोट का कम्प्यूटर मोडल देखते हुए बोले । बातचीत समाप्त होने पर वह तरुण को देखने के लिये इन्टेन्सिव केयर यूनिट की ओर चल दिये | जात पूनम का क्लब में नित्य की तरह जाना जारी रहा । तरुण की पत्मी होने के बावजूद उसका तरुण से कोई वास्ता नहीं था। तए्ण को भ्रूसाध्य बीमारी का भी पूनम पर कोई झसर गही पडा। औप- चारिकतावश वह अ्रवश्य तरुण के पास भ्राती | उसके चेहरे से टपकती गभीरणा भी श्रौपचारिक प्रतीत होती, लेकिन तरण के दिल का एक कोना श्रव भी उससे प्यार करता था वह कैसी भी थी लेकिन वह थी तो उसकी पत्नी ही । उसका जी चाहता था, वह पहले की तरह उसे प्यार देता रहे ।, वह भरपुर प्यार उस पर उडेलता रहे वह कुछ पल के लिये आती और तरुण को लगता कि उसे जिन्दगी मिल गई । वह अपना सारा त्रोध व तनाव भूल जाता और पूनम की श्राखों मे प्यार का समदर तलाशने लगता। पूनम के चले जासे के पश्चात्‌ जैसे ही तरुण को अनिरुद्ध का रूपाल झाया, न्ोध से उसका चेहरा तमंतमा आया फिर बेबसी वह बिस्तर से उठ भी नहीं सकता था उसने उठने के लिये जोर लगाया उसे खाँसी ऐसी उठी कि थमने का नाम नही लेती सारे फेफड़े छलनी हो गये थे नर्स करुणा दोडी हुई आई उसने देखा कि तरुण का थूक खून उग्रलने लगा है उसमे एडस एक समर-भृमि [) 25




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now