नवीन पद्य संग्रह | Naveen Padhya Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
173
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भगवती प्रसाद बाजपेयी - Bhagwati Prasad Bajpeyi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पं० श्रीधर पाठक २७
नहीं, पर सुजन व॒न्द या सुहृद-जन-संघ की ओर से की गई प्रवल यों
प्रार्थना, विवशता विवश स्वीकार होती हुई जगत के बीच में प्रायः देखी
गई |
अतः लिखना उचित जीवनी का हुआ, शक्ति अनुसार कुछ सार-
संयुक्त, यद्यपि ऊूगे कार्य यह निपट एक भार ही ।
आगरा प्रांत की फीरोजाबाद तहसील में जोंधरी नामक एक ग्राम
है। जहाँ पिछले समय में कुछ एक कार तक किवदंती कथित विप्रग्र वंश
एक नृकुल अवतंस अघ -संघ-विध्वंस-कर भूमिषति था, सकल अंश में सुकुछ
आचार परिएृत सुविचा र-पंनूतगण आढय शू चि-सावना -भरित शुभचरित-
परिवार-परिपृर्ण मतिमान-मूर्बन्य अज्ञानतभ-शून्य जिद्वानूजन मान्य
राजन्य-पृज्यगण बहुदेश विख्यात अवदात-यज्न-राशि क्ृतविद्य अतिहृत्य
प्रतिपत्ति-संपन्न अति भद्र अविषण्ण सुमनस्क सुवयस्क सुचिवृत्त सात्विक
वी । देग पंजाब था आद्य उसका सुभग, जाति पटकुल विदित सुधर
सारस्वत-प्रवर पाठक सुविख्यात विप्रागणी।
एक-से-एक बढ़ उदित नरवर हुए, उस विदशवद वंश में, जो सुयश धाम
हैं। उन्हीं में इन विचत-दीनजन के पुनः स्म्रणीय अति समाद रणीय नम -
नीय आचरण सर्च पितृ-चरण का परण पावत अतीव-श्रुति-सुहावन
सुजन हृदय-भावन दुरितद्वत-नसावन प्रयत शाँति छावन सतत-सकलूजन
पुज्य आराध्य गून नाम है।
सुगूण संपन्न है नहानहिम मुदु-शील सौन्दर्य-गौजन्य शुचि मूति-
कमनीय वपषु-कांति दठेजस्विता-स्फूरति-मंडल-अलक्धता अखेंडल अठल
कीति अति सदय शवि-हृदय शूभ-उदय चूति-निलण अखिल आचरण-
हित यम नियम दिति कृति लिंग प्सुगभ-अनूग्रमन रीति, त्यों शुचि
समागम-सुजन-साधथ् जनप्रीति ।
अति सुदृढ़ संकल्प थे सरल ऋषिकलप नर ऋषम कविकल्पमति
अमित आनन््द-अनूभूत शुचि सुधर सात्विक-प्रकृति सुहित-पर-सुकृत-घ र
अनघ गति युरूम-रति वचन-रचना-चतुरविमलू-वाणी विशद-कल्पना-पूत ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...