नवीन पद्य संग्रह | Naveen Padaya Sangraha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २३ ) यदपि कोई उत्कृष्ट ग्रग्थ नहीं लिखा; तथापि हिन्वी की उन्नति में आपका श्र छतम तथा व्यावद्वारिक हाथ रहा है। अभ्युद्य' का जब जन्म हुआ था, 'तब प्रारम्भ में आप द्वी उसके मुख्य संपादक थे । हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन के जन्म से लेकर अब तक उसे एक आदशे संस्था बनाने में आपका मुख्य रूप से करावलंब रहा है। कानपुर-सम्मेलन के अवसर पर आपने सभापति की हेसियत से जो भाषण दिया था, हिन्दी-साहित्य के विषय में आपकी विद्वत्ता उससे स्पष्ट कलकती है । विद्यार्थी-जीवन में आपने कई पुस्तकें लिखी थीं, उनमें एक राजनीतिक व्यंग्य-काव्य भी था। टंडनजी एक प्रभावशाली बक्का, राष्ट्रधम के अनुयायी, देशभक्त और संयुक्‍तप्रान्त के रत्न हैं | पंडित माधव शुक्ल जन्म सवत्‌ १६३८ वि०, जन्म-स्थान प्रयाग है, किंतु आजकल ये 'कलकत्ते में रहते हैं । शुक्कजी ढ्विंदी के राष्ट्रयय कवि हैं ; क्योंकि आपकी रचनाओं में देशभक्ति की प्रचुरता है । आपने भारत-गीताआजलि, मद्दाभारत- 'नाटक, स्वराज्य-गायन, सामाजिक चित्रदपण तथा राष्ट्रीय तरइ्डः आदि अनेक कविता-पुस्तकें लिखी हैं | इसके अतिरिक्त आपने महाभारत सी, श्री राधेश्याम जी कथावाचक की रामायण के ढ्ठ पर, हाल ही में लिखा है | आप संस्क्रत, अक्नरेज्ञी, बह्ला तथा गुजराती का भी ज्ञान रखते हैं । आप हिंदी के श्रेष्ठ कवि, गायक और नाटककार हैं | पंडित गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' जन्म श्रावश शुक्त १३ संवत्‌ १६४० वि०, निवास-स्थान हडहा ज़िला उन्नाव है। इनका उपनाम 'सनेही” तथा 'त्रिशुल' है | सनेहीजी इस काल कि कक में के हर ९ के खड़ीबोली के श्र ठ्टतम कवियों में हैं | हिंदी के अतिरिक्त आप उदू में




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