जातक माला | Jatak Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
342
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ शिविज्ञातकम् ।
दुष्करशतसमुदानीतोडयमस्मदर्थ तेन भगवता संद्धम इति सत्कृत्य श्रोतन््य |
तथयाजुश्रूयते- है
बोधिसत्नभूत किलाय.. भगयानपरिमितकांलाम्यासात्सामीभूतोपचितपुण्यकर्मा
कदाचिच्छित्रीना राजा वभूव । स वाल्याअशल्ेव इद्धोपासनरतिर्विनयाजुरक्तोड्लुरक्तप्रकृति 5
प्रकृतिमेघावित्यादनेकबिद्याधिगमगिपुछतरमतिरुत्साहमब्नप्रभावशक्तिदेवसपन्न॒खा इव प्रजा.
प्रजा पालयति सम |
तस्मिंखिवगोनुगुणा गरुणौघा
सहपेयोगादिव सनिप्रिष्ठ ।
समस्तरूपा जिवभुन चासु 10
पिरोधसक्षोमविपन्नतोभा ॥ १ ॥
विडम्बनेवायिनयोद्धताना
दुर्मेघसामापदिवातिकष्टा ।
अल्पात्मना या म्दिरिव लक्ष्मी
बभूब सा तन्न ययार्थनामा ॥ २॥ 15
उद्ारभावात्करुणागुणान्च
वित्ताधिपव्याच्व स राजवर्य ।
रेमेईर्थिनामीप्सितसिद्धिहपी-
दक्किष्टशोभानि मुखानि पश्यन्॥ ३ ॥
अथ स राजा दानप्रियत्वात्समततो नगरस्य सर्वोपफरणधनधान्यसम्द्धा दानशाल्रा ७
कारयित्वा खमाहात्म्यानुरूप यथाभिप्रायसपादित सोपचार मनोहस्मनतिक्रान्तकाल्सुभग
दानवर्ष कृतयुगमेघ इब यवप । अन्नमन्नार्थिम्य पान पानार्थिम्य शायनासनवसनभोजन-
गन्धमाल्यरजतसुवर्णादिक तत्तदर्थिम्य । अथ तस्य राज्ञ प्रदानौदार्यश्रवणाद्विस्मितप्रमुदित-
हृदया नानादिगमिलक्षितदेशनियासिन पुरुषास्त देशमुपजग्मु ।
परीक् कृत्त मनसा इलोक- श्ढ
मन्येष्वल्ब्धप्रणयायफाशा |
तमर्थिन प्रीतमुखा समीयु-
महाहदद वन््यगजा ययैय || 9 ॥
अय स राजा समन््तत समापततो लामाशाप्रमुदितमनस पयिकजननेपच्य-
प्रच्छादितशोभस्य वनीपकजनस्य ३0
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