मराठों का उत्कर्ष | Maratho Ka Utkarsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
248
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३)
मराठों के इतिहास पर हिन्दी म॑ यह पुस्तक चहुत ही
डपयागी होगी | इसमें रानाड़े सहाशंय ने मराठा का सत्ता |
का सच्चा सच्चा स्वरूप प्रकट क्या है।इल लिए, अगर
इतिहालिया के प्रमात्मझ विचारों स ज्ञिन' हिन्दी पाठकोक
विचार भी, मराठों के घिप्रथ में, घ्रमात्मक चम गये होगे,उनक
म्रेम का अवश्य ही पिरसन दे जायगा । ययांप इस :झन्ध मम
मराठी का पूरा पूरा इतिहास ते नही आयाएदै--क्याकि
शानाड़े भद्ाशय/श्ागे इस काम के पूरा करनवाले थे, 'परणु
शीच हो भें उनका स्वर्संवास है| गया--फिर भी मराठों ऊ
डत्थान का पूर्ण चृत्तास््त इसमें झा गया ६ं, और 'प्रभगत्रशाह
फहीं कहीं उनके पतन का भी आभास दिया गया हे ।
परिशिष्टा में से पद्धता परिशिए न्यायप्रति लेलंग का
किसा हुआ है, जिसे स्वय रानाडे जी ने अपने प्र्थ में रखा
था, ध्लेर दुसरा परिंशिष्ट सुथय रानाडे मद्दाशय फा हीं लिखा
हुआ दै, येद्र परिशिष्ट फेदा्ित् राताडेजी अपने इतिहास रह
अगज्त भाग में देते | पेग्न्तु हमने इसदे। मराठी ग्रन्थ पर से
लिया है । इन देना परिशिए्ठी मं पेशचाओं के समय की राज
सैतिक, धार्मिफ और सामाजिक यातों पर 'बहुत अच्छा
प्रदाश डाला गया दे । इनकी सामग्री खदुत दी सनारमक,
डपद्रशप्रद ओर पऐतिदालिफक दृष्टि से डउप्याभो हैं।आशा है
फि दमारे इतिंदासपेसी पाठक इस अन्धगस पूरा पूरा लाभ
उठावगे। 5 *
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प्रयाग, ) लच्मीघर वाजपेयी
_मेद्ाशिंवर # (ध्ट्ट््ारकः ) , .,
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