मुस्तफ़ा कमाल पाशा | Mustafa Kamal Pasha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लिये आगे घंढे. पर इस धर्मेयुद्धमें वे मारे गये ) उनकी मृत्यु“
के पश्चात् बेइवार्सने उसी अव्यासिया वंशके एक और व्यक्तिको
छाकर खलीफाकी गदीपर बेठाया और उनकी अधीनता सख्रीकार
की। चघे धर्म-गुरु और शाखककी तरह पूज्य समझे जाने लगे ;
पर शासनाधिकार प्रत्यक्ष रूपले मिश्रके मामछुक सुल्तानोंके
दार्थोमेंद्री रह । तीसरे कालाशर्में खलीफाकी गद्दी मिश्र देशऊे
करो स्थानर्मे रही भीर यह चंश प्मम्यासिया-ए मिश्र! खानदान
कहलाता था । इस चशहे १६ खलीफ हुए और खन् १५०६ ई०
शक इनका शासन माना जाता है।
<#०8 चतुर्थ काल्ांश 3५०
सन् १५४१७ ६० से. इधर इस्छामकी शक्ति इस समय जिस
वर्तमान समयतक प्रकार अत्यन्त ध्वीण दो गयी थी, उस्री
प्रकार उधर ८कोंके राज्ञाका व पहुत चढ़ गया था। सन् १५१७
ई०में सलीम प्रथमने मिश्रक्ते मामछुक खुल्तानोंको दृरराकर मिश्रपर
अधिकार किया। मिश्र देशपर अधिक्रार करनेके पाद सलोग
अ्रथमने अब्याक्तिधा-ए मिथ्र खानदान अन्तिम खलीफा अल
मोतयफ्कैल भलेल्लाह इब्न उमर उछ-दकीमके द्ार्थोसे यद्द उपाधि
अहण कीौ,--खुल्तानेतू सलातीन घ «हाकिमुल-ड हयाकीम,
मालिकुलपदरेन व बररेन हामीदोन, खलीफा रखूल-अल्लाद,
अमीर-उछ मोमिनीन।? $
४ इस प्रकाए सलीम प्रथम उसमानिया प्लानदानके पदले
हू
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