मुस्तफ़ा कमाल पाशा | Mustafa Kamal Pasha

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Mustafa Kamal Pasha by प॰ कार्तिकेयचरण मुखोपाध्याय - P. Kartikeyacharan Mukhopadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लिये आगे घंढे. पर इस धर्मेयुद्धमें वे मारे गये ) उनकी मृत्यु“ के पश्चात्‌ बेइवार्सने उसी अव्यासिया वंशके एक और व्यक्तिको छाकर खलीफाकी गदीपर बेठाया और उनकी अधीनता सख्रीकार की। चघे धर्म-गुरु और शाखककी तरह पूज्य समझे जाने लगे ; पर शासनाधिकार प्रत्यक्ष रूपले मिश्रके मामछुक सुल्तानोंके दार्थोमेंद्री रह । तीसरे कालाशर्में खलीफाकी गद्दी मिश्र देशऊे करो स्थानर्मे रही भीर यह चंश प्मम्यासिया-ए मिश्र! खानदान कहलाता था । इस चशहे १६ खलीफ हुए और खन्‌ १५०६ ई० शक इनका शासन माना जाता है। <#०8 चतुर्थ काल्ांश 3५० सन्‌ १५४१७ ६० से. इधर इस्छामकी शक्ति इस समय जिस वर्तमान समयतक प्रकार अत्यन्त ध्वीण दो गयी थी, उस्री प्रकार उधर ८कोंके राज्ञाका व पहुत चढ़ गया था। सन्‌ १५१७ ई०में सलीम प्रथमने मिश्रक्ते मामछुक खुल्तानोंको दृरराकर मिश्रपर अधिकार किया। मिश्र देशपर अधिक्रार करनेके पाद सलोग अ्रथमने अब्याक्तिधा-ए मिथ्र खानदान अन्तिम खलीफा अल मोतयफ्कैल भलेल्लाह इब्न उमर उछ-दकीमके द्ार्थोसे यद्द उपाधि अहण कीौ,--खुल्तानेतू सलातीन घ «हाकिमुल-ड हयाकीम, मालिकुलपदरेन व बररेन हामीदोन, खलीफा रखूल-अल्लाद, अमीर-उछ मोमिनीन।? $ ४ इस प्रकाए सलीम प्रथम उसमानिया प्लानदानके पदले हू




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