बीकानेरी कहावतें एक अध्ययन | Bikaneri Kahawaten Ek Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ला ५
को विजय श्री प्राप्त हुई। महाराजा डा० करणीमसिह, निर्देतीय उम्मीदवार के
झूप से भारतीय लोक सभा के लिये निर्वाचित हये । सन्८१३६६२ के तीसरे झ्राम> [/ «
चुनाव में भी बीकानेर शहर से समाजिवादों दल की विजय हुई और बाकी क्षेत्रों से
कांग्रेस की । महाराजा बीकानेर भी किर लोक सभा के लिए चुने गये । काग्रेत
भ्रव तक पैर नही जमा सकी थी । किन्तु सन् १६६७ के आम चुनाव मे कांग्रेस की
प्रदुभुद विजय हुई ।
सन् १६५२ से लेबर आजतक भारतोय लोक सभा के लिए महाराजा
डा० करणीमिंह इस क्षेत्र के प्रतिनिधित्व के लिये निर्वाचित होते आये है । इसके
लिये उनझा प्रपना व्यक्तित्व और बीकानेरी जनता का सस्कार ही काम करता
है। जनसघ और साम्यवादी पार्टी भी दिनोदित मजबूत होती जा रहो है
शैक्षशिक एवं साहित्यिक परिचय
शिक्षा एव साहित्य के क्षेत्र मे बीकृनेर का स्थाव सर्वोच्च नही वहा जा
सकता, तो नोंचा भी नहीं कहा जा सकता । यद्याव स्वतश्नता-पूर्वा शिक्षा वा
प्रवार-प्रसार अपेक्षाकृत कम था, किन्तु बीकानेर नरिज्ञो मे शिक्षा के प्रति अद्वितीय
लगाव था। संस्कृत के और ज्योतिष के महान विद्वान यहा पैदा हुये हैं। एक
समय बीकानेर को भारत का दूसरा 'काशी!' कहा जाता था
इस समय जिले के पन्द्रह महाविद्यालयों मे विभिन्न विषयों मे लगभग
३५३६ छाप्र झ्ौर ८५० छात्रायें शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जिले मे विभिन्न स्तर
बी ५६५ शालायें हैं (२
शिक्षा के क्षेत्र मं जही बोकानेर को गमोौरवशालों स्थान प्राप्त है, वहा
साहित्य के क्षेत्र मे भी इसके झपने वीतिमान हैं। लगभग पच्चीत साहित्यित
सस्थायें वर्षों स साहित्य के सृजन, प्रचार एवं प्रसार के कार्यों मे सलग्न है।
'सादूंल राजस्थानी रिसर्च इन्सीट्य तथा 'हिन्दों विश्व भारती” जैसी देश-प्रसिद्ध
सस्पाकझ्ो वे कार्य उप्लेखनीय हैं। इन सस्थाओं ने झ्ीव के क्षेत्र भे नई दिशाएु
प्रदान वी हैं । एक विशज्ञाल सख्या में ्राहित्यकार भी विभिन्न विधाओं में साहित्य
सुजन करते रहे हैं। उपन्यास, कहानी, बबिता, ताटप, आलोचना भ्रादि वे जाने
माने रचयिता बोवानेर मे हैं ।
लोक-साहित्य के प्रगाष्ड विद्ानों दा कार्य क्षेत्र भी बोकानेर रहा है 1
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